For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हरे भरे बागों को मिटाया जा रहा है |कविता - अतुकांत |

कागज़ के फूलों को सजाया जा रहा है |
हरे भरे बागों को मिटाया जा रहा है |
क्या होगा हाल उन कश्तियों का ,
जिन्हें सुर्ख रेत पर चलाया जा रहा है | 
कैसे सूखे आँसू  उन ग़मगीन आँखों का  ,
 जिन पर झूठा इल्जाम लगाया जा रहा है |
लम्बे लम्बे फिकरे कसते हैं वो लोग , 
जिनके जीवन साथी को तड़पाया जा रहा है |
हकीकत कुछ , दिखावा कुछ और है ,
कौन जाने किसको सताया जा रहा है |
कैसे जले दीपक जब उसमे तेल ना हो ,
पर अँधेरे में तीर चलाया जा रहा है |
आग लगे कहीं पर धुंआ कहीं उठता,
कहीं  बुझते आग को धधकाया जा रहा है |
चलते चलते थक गये अब ताक़त नहीं ,
पर उनको नौजवां बताया जा रहा है |
रंजीश किसी का निकाले किसी और पर , 
पर मुस्कराकर हाथ मिलाया जा रहा है |
फूलों का हार कैसे पहनाये वर्मा ,

पीछे से पाँव खिसकाया जा रहा है |   

श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 550

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on August 7, 2013 at 10:23am

आदरणीय श्याम जी:

 

सुन्दर रचना ... भाव अच्छे लगे।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by Vasundhara pandey on August 6, 2013 at 6:25pm

सुन्दर रचना श्याम जी !!

Comment by Shyam Narain Verma on August 6, 2013 at 10:56am
आदरणीय नीरज जी,
प्रणाम 
इस कविता को किसी छंद पर नहीं लिखा हूँ , वैसे हमारी  कोशिश रहती है की कविता अगर छंद पर आधारित हो तो बेहतर रहेगा परन्तु वक़्त की कमी और व्यस्तता के आगे सोचने के लिया मजबूर होना पड़ता है |
सादर |
Comment by अरुन 'अनन्त' on August 5, 2013 at 2:06pm

बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति श्याम जी बधाई स्वीकारें आदरणीय राणा सर एवं आदरणीय बृजेश भाई जी की बातों पर ध्यान दें.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 5, 2013 at 12:47am

आदरणीय श्याम नारायण जी, सुंदर रचना पर, हार्दिक बधाई

Comment by बृजेश नीरज on August 4, 2013 at 7:36pm

आदरणीय श्याम नारायण जी बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति! आपको बहुत बधाई इस रचना पर!
एक जिज्ञासा मन में है कि इस कविता को अतुकांत किस आधार पर आपने कहा। अतुकांत का अर्थ है वह कविता जिसकी पंक्तियों में एक जैसा तुकांत न हो अर्थात जो एक जैसे शब्दों या अक्षरों से समाप्त न होती हों। आपकी कविता में ऐसा तो नहीं है। एक भ्रम है लोगों में कि गद्यात्मक पंक्तियों से बनी रचना अतुकांत होती है। आप कृपया इस भ्रम का शिकार न हों।
आशा है आप मेरे कहे को अन्यथा न लेंगे।
सादर!

Comment by MAHIMA SHREE on August 4, 2013 at 2:33pm

बहुत ही बढ़िया आदरणीय ..बिलकुल समसामयिक प्रस्तुति बधाई आपको


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 3, 2013 at 10:39pm

सुन्दर अभिव्यक्ति है| व्याकरण सम्बन्धी त्रुटियाँ दूर करें तो और आनंद आयेगा|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"ऐसे ऐसे शेर नूर ने इस नग़मे में कह डाले सच कहता हूँ पढ़ने वाला सच ही पगला जाएगा :)) बेहद खूबसूरत…"
8 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में पर आ जाता है।दिल…See More
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा

.ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा, मुझ को बुनने वाला बुनकर ख़ुद ही पगला जाएगा. . इश्क़ के…See More
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो  कर  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई , ग़ज़ल पर उपस्थिति  और  सराहना के लिए  आपका आभार  ये समंदर ठीक है,…"
21 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"शुक्रिया आ. रवि सर "
22 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. रवि शुक्ला जी. //हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा मे ंअहसास को मूर्त रूप से…"
23 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"वाह वाह आदरणीय नीलेश जी पहली ही गेंद सीमारेखा के पार करने पर बल्लेबाज को शाबाशी मिलती है मतले से…"
23 hours ago
Ravi Shukla commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई ग़ज़ल की उम्दा पेशकश के लिये आपको मुबारक बाद  पेश करता हूँ । ग़ज़ल पर आाई…"
23 hours ago
Ravi Shukla commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय अमीरूद्दीन जी उम्दा ग़ज़ल आपने पेश की है शेर दर शेर मुबारक बाद कुबूल करे । हालांकि आस्तीन…"
23 hours ago
Ravi Shukla commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय बृजेश जी ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिये बधाई स्वीकार करें ! मुझे रदीफ का रब्त इस ग़ज़ल मे…"
23 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह वाह आदरणीय  नीलेश जी उम्दा अशआर कहें मुबारक बाद कुबूल करें । हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा…"
23 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service