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कुंडलियाँ छंद-लक्ष्मण लडीवाला

 मधुशाला खुलती गयी, विद्यालय के पास,  

आजादी जब से मिली, ऐसा हुआ विकास |

ऐसा हुआ विकास, मिले शराब के ठेके

आय करे सरकार, नेता रोटियाँ सेकें

शिक्षा पर हो ध्यान, उन्नत हो पाठशाला

शिक्षालय के पास, हो न कोई मधुशाला |

(२)

रंगत बदले मनुज अब, गिरगिट भी शर्माय   

गिरगिट पुनर्जन्म धरे, नेता बनकर आय |

नेता बनकर आय, क्षमता और बढ़ जावे

पेटू बनकर खाय, खाकर डकार न लावे     

ईश्वर करे सहाय, पाये न इनकी संगत,

सूझे न कछु उपाय,बदलते झट से रंगत |

.

(मौलिक व् अप्रकाशित)

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला 

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Comment by अरुण कुमार निगम on August 5, 2013 at 7:28pm

जय हो...

Comment by वेदिका on August 5, 2013 at 6:43pm

 मधुशाला खुलती गयी, विद्यालय के पास,  

आजादी जब से मिली, ऐसा हुआ विकास |

विकास के नाम पर की गई व्यवस्था पर करारा कुंडलिया छंद

शुभकामनायें !!

Comment by annapurna bajpai on August 5, 2013 at 6:30pm

आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत बढ़िया कुण्डलिया के लिए बधाई ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 5, 2013 at 5:17pm

"रंगत बदले मनुज अब, गिरगिट भी शर्माय   

गिरगिट पुनर्जन्म धरे, नेता बनकर आय |

नेता बनकर आय, क्षमता और बढ़ जावे

पेटू बनकर खाय, खाकर डकार न लावे "............सीधे सीधे नेताओं पर, सटीक निशाना ,

आदरणीय लक्ष्मण जी, सुंदर छंद रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकारें 

कृपया ध्यान दे...

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