फासलों की
हर पर्त को चीरते
चंद शब्द...
जिनका चेहरा,
कभी दिखाई ही नहीं देता..
आखिर देखूँ भी तो क्यों ?
लुका छिपी में उलझाते मुखौटे !
जिनकी आवाज,
कभी सुनायी ही नहीं देती..
आखिर सुनूँ भी तो क्यों ?
कृत्रिमता में गुँथे बंधित अल्फाज़ !
जिनके अर्थ,
कभी बूझने नहीं होते..
आखिर बूझूँ भी तो क्यों ?
सिर्फ भ्रमित करते से दृश्य तात्पर्य !
जबकि,
हृदय गुहा में
अंकित होते हों..
मुखौटों की कृत्रिमता से
सदा सर्वदा अस्पृष्ट..
अर्थ की बंदिशों से परे..
ऊर्जित भाव स्पंदन
अपने अनुगुंजन में
चिदानन्द संजोये
उसके चंद शब्द !!
Comment
सुंदर भावपूर्ण रचना पर, बहुत बहुत बधाई आदरणीया डा.प्राची जी
आदरणीय डॉ० प्राची जी,
काव्य कैसा होना चाहिए यह इस सुन्दर कविता को पढ़ने से मालूम चलता है शायद इस लेवल तक सीखने में काफी समय ओर मेहनत चाहिए। आपको अनेकों अनेक शुभ कामनाएं।
आ0 प्राची मैम जी, वाह! चंद शब्द जो स्वयं को तार्किक और कोमल भावों से आच्छादित करके सदैव ही अच्छा या बुरा अपनी प्रकृति के आधार पर आकर्षित करता है। वाह! लाजवाब अप्रतिम रचना। हृदयतल से बहुत बहुत बधाई स्वीकारें। सादर,
आ0 प्राची जी सुंदर भावभिव्यक्ति, सटीक भाव संप्रेषित करती रचना हेतु आपको ढेरों शुभ कामनाएँ ।
जबकि,
हृदय गुहा में
अंकित होते हों..
मुखौटों की कृत्रिमता से
सदा सर्वदा अस्पृष्ट..
अर्थ की बंदिशों से परे..
ऊर्जित भाव स्पंदन
अपने अनुगुंजन में
चिदानन्द संजोये
उसके चंद शब्द !! ... अहा !!!! हृदयस्पर्शी सुकोमल भाव से भरी अप्रितम रचना दी हृदयतल से ढेरों बधाई स्वीकारें.
दी एक गुजारिश है क्या मुझे भी इतनी ही सुन्दर अतुकांत कविता लिखना सिखाएंगी..
बहुत सुंदर डॉ. प्राची जी. अद्भुत शब्द-संयोजन तथा भाव- सम्प्रेषण. कोटिशः बधाई.
आदरणीय डॉ० प्राची जी,
सादर वन्दन. हृदयस्पर्शी भाव, अनुभूति का आनंद:
अर्थ की बंदिशों से परे.. ऊर्जित भाव स्पंदन अपने अनुगुंजन में ..चिदानन्द संजोये..उसके चंद शब्द !!
अपने विश्वास, अडिग श्रद्धा का सुन्दर निरूपण!
बहुत सुन्दर , मनोदशा के बहुत अच्छी अभिव्यक्ति !!
अति सुन्दर
भावपूर्ण
सशक्त अभिव्यक्ति डॉ साहिबा . सादर नमन वंदन आपका !!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online