!!! प्यार का सौगात सावन !!!
2122 2122 2122 212
प्यार का मौसम सुहाना, शोख सावन भा गया।
पड़ गए झूले सखी री, कजरी गायन भा गया।।1
मेघ बरसे भूमि सरसे, मोर - पंछी नाचते।
बाग उपवन खूब झूमे, वायु सनसन भा गया।।2
फूल-शबनम मिल खिले हैं, खुशुबुओ का साथ है।
मस्त तितली उड़ रही है, भौंरा गुनगुन भा गया।।3
मन बड़ा संशय भरा है, राह पिउ की देखती।
फिर झरा छप्पर-घरौंदा टीन टनटन भा गया।।4
क्यों? उदासी प्रेम पाती, आज मोबाइल सुलभ।
रात में वर्षा रूकी जब, नेट धड़कन भा गया।।5
अब चलो बारिश में भीगें, छांव-छतरी छोड़ कर।
कर भरी चूड़ी खनकती, साज खनखन भा गया।।6
सुब्ह का सूरज निराला, गीत पंछी गा रहे।
चात-कोकिल की जुबानी, राग तनमन भा गया।।7
सारी धरती सज गयी है, चुनरी धानी ओढ़ कर।
वायु आंचल सा उड़ाता, खेत-जड़हन भा गया।।8
जब चली ठण्डी हवा, मस्त झोंके प्यार के।
मिल गए दो दिल अचानक, बात गुंजन भा गया।।9
प्यार में सौगात सावन, रोज बारिश हो रही।
भू-गगन मिलते यहां पर, सृष्टि रंजन भा गया।।10
के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आ0 सौरभ सर जी, सादर प्रणाम! आपके अपार स्नेह, सुझाव और आशीष वचन हेतु आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार। जी सर, आपके अपेक्षाओं के अनुसार मेरा सद्प्रयास जारी रहेगा। सादर,
ज़ल्दबाज़ी न किया करें, भाईजी. इस प्रयासके लिए हार्दिक बधाइयाँ..
आ0 अरून अनन्त भाई जी, वास्तव में ’पिऊ’ है, टंकण त्रुटि है! //जब चली ठण्डी हवा औ मस्त झोंके प्यार के! में // ’औ’ शब्द छूट गया है। जिसे सुधार कर लूंगा। भाई जी! आपके विशेष स्नेह, सुझाव और उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार। सादर,
आ0 राजेश कुमारी दी जी, सादर प्रणाम! आपको गजल पसन्द आयी, मेरा प्रयास सफल हुआ। आपके विशेष स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार। सादर,
आ0 भण्डारी भाई जी, सादर प्रणाम! आपको गजल पसन्द आयी, मेरा प्रयास सफल हुआ। आपके स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार। सादर,
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आ0 बृजेश भाई जी, आपको गजल पसन्द आयी, मेरा प्रयास सफल हुआ। आपके स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार। सादर,
आ0 शिज्जू भाई जी, आपको गजल पसन्द आयी, मेरा प्रयास सफल हुआ। आपके विशेष स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार। सादर,
आदरणीय केवल भाई जी बेहद सुन्दर ग़ज़ल कही है प्रवाह भी बहुत सुन्दर है भाव भी अच्छे हैं. इस हेतु मेरी बधाई स्वीकारें.
पिउ ??? भाई जी मुझे संशय है क्या यह शब्द ठीक है.
जब चली ठण्डी हवा, मस्त झोंके प्यार के। ... भाई जी यहाँ एक शब्द छूट गया है शायद ऐसा होगा जब चली ठण्डी हवा, ले मस्त झोंके प्यार के. ...
वाह वाह केवल जी सावन की ऋतु पर क्या शानदार हिंदी ग़ज़ल लिखी बहुत बहुत बधाई
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