!!! प्यार का सौगात सावन !!!
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प्यार का मौसम सुहाना, शोख सावन भा गया।
पड़ गए झूले सखी री, कजरी गायन भा गया।।1
मेघ बरसे भूमि सरसे, मोर - पंछी नाचते।
बाग उपवन खूब झूमे, वायु सनसन भा गया।।2
फूल-शबनम मिल खिले हैं, खुशुबुओ का साथ है।
मस्त तितली उड़ रही है, भौंरा गुनगुन भा गया।।3
मन बड़ा संशय भरा है, राह पिउ की देखती।
फिर झरा छप्पर-घरौंदा टीन टनटन भा गया।।4
क्यों? उदासी प्रेम पाती, आज मोबाइल सुलभ।
रात में वर्षा रूकी जब, नेट धड़कन भा गया।।5
अब चलो बारिश में भीगें, छांव-छतरी छोड़ कर।
कर भरी चूड़ी खनकती, साज खनखन भा गया।।6
सुब्ह का सूरज निराला, गीत पंछी गा रहे।
चात-कोकिल की जुबानी, राग तनमन भा गया।।7
सारी धरती सज गयी है, चुनरी धानी ओढ़ कर।
वायु आंचल सा उड़ाता, खेत-जड़हन भा गया।।8
जब चली ठण्डी हवा, मस्त झोंके प्यार के।
मिल गए दो दिल अचानक, बात गुंजन भा गया।।9
प्यार में सौगात सावन, रोज बारिश हो रही।
भू-गगन मिलते यहां पर, सृष्टि रंजन भा गया।।10
के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय केवल भाई , सावन के इस लाजवाब वर्णन के लिये हार्दिक बधाई !!
बहुत सुन्दर! आदरणीय केवल भाई इस प्रयास के लिए आपको हार्दिक बधाई!
//प्यार का मौसम सुहाना, शोख सावन भा गया
पड़ गए झूले सखी री, कजरी गायन भा गया// वाह आदरणीय केवल प्रसाद जी सावन की इस ग़ज़ल के लिए दिली दाद क़ुबूल करें
आ0 नीरज भाई जी, सादर प्रणाम! आपके सहृदय स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार। सादर,
आदरणीय केवल प्रसाद जी ,
सावन , प्यार और वास्तविकता का अदभुत संगम
देखने को मिला आपकी कविता में और यकीन मानिए ऐसा
सावन तो कभी मुझे सावन में भी अनुभव ना हुआ होगा
जैसा आपकी कविता में आपके द्वारा किये गए मनोहर
चित्रण से हो गया ।
इस खूबसूरत रचना के लिए बहुत बहुत शुभ कामनाएं ।
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