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हाकी काकी सी सरस, क्रिकेट बुआ हमार-

मौलिक / अप्रकाशित

हाकी काकी सी सरस, क्रिकेट बुआ हमार |
राखी भैया-द्वीज पर, पा विशेष उपहार |


पा विशेष उपहार, हार हीरों का पाई |
जाए हीरो हार, करोड़ों किन्तु कमाई |


काकी का कर्तव्य, करे नित सेवा माँ की |
लेडी मेवा खाय, खूब चीयर हा हा की ||

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Comment

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Comment by रविकर on August 29, 2013 at 8:41am

बहुत बहुत आभार आप सभी का-
सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 28, 2013 at 11:19am

सुंदर कुंडलियाँ, बधाई स्वीकार करें आदरणीय रविकर जी

Comment by Neeraj Neer on August 27, 2013 at 7:16pm

सुन्दर कटाक्ष करती कुण्डलियाँ , अब तो जेंटल मेन गेम में खिलाड़ी पीच पर पेशाब करने लगे. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 27, 2013 at 6:49pm

आदरणीय , बहुत अच्छी कुंडलिया की रचना हुई !!

Comment by Shyam Narain Verma on August 27, 2013 at 5:20pm
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ.
Comment by अरुन 'अनन्त' on August 27, 2013 at 4:02pm

जय हो आदरणीय बेहद सुन्दर व्यंग कसा है आपने बेहतरीन कुण्डलिया छंद सत्य सटीक सुन्दर हार्दिक बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

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