बादल भी है नुचा हुआ सा, वसुधा भी है टुकड़े टुकड़े
Comment
भाई आशीषजी, अपनी व्यस्तता के चलते मैं आपकी प्रस्तुति पर अभी आ पा रहा हूँ, इसका खेद है. विश्वास है, आप मेरी विवशता समझेंगे.
आपकी संवेदनशील रचना के लिए आपका धन्यवाद लेकिन आपकी रचना जिस छंद में बतायी गयी है उसमें तो है ही नहीं. आपकी रचना मत्त सवैया है ही नहीं.
सामान्य पाठकों के लिए स्पष्ट कर दूँ कि मत्त सवैया सवैया छंदों या उसके अन्य प्रारूपों की तरह वर्णिक छंद नहीं है, बल्कि यह मात्रिक छंद है और ३२ मात्राओं के पद का होता है जहाँ १६-१६ पर यति होती है. यह चार पद समूह का छंद है जिसमें दो-दो पदों की तुकान्तता बनती है. मगर इतना ही नहीं है, बल्कि इसके अलावे एक अत्यंत गूढ़ किन्तु निर्णायक बात होती है जो मैं भाई आशीष जी के उत्तर के बाद स्पष्ट करूँगा.
अब, आशीष भाईजी, आपने मत्त सवैया को किस मात्रिकता के आधार पर या किस विधान के अनुसार समझा है या समझने की कोशिश की है आप जरा बतायेंगे, भाई ? ताकि मैं आश्वस्त हो सकूँ.
इसी कारण इस मंच पर सभी रचनाकारों से छंद-रचनाओं को पोस्ट करने पर उसके संक्षिप्त विधान को भी साझा करने का आग्रह होता है. या, ग़ज़लकारों से ग़ज़ल के विन्यास को भी साझा करने का आग्रह होता है. ताकि न केवल सीखते हुए पाठक या रचनाकार बल्कि पोस्ट करता हुआ रचनाकार और ग़ज़लकार भी स्वयं आश्वस्त रहे कि वह जो कुछ पोस्ट कर रहा है उसमें कोई दोष नहीं है.
सादर
श्याम जुनेजा जी
पहले कुछ मैं सीख लूं , फिर पकडू जड पात
क्या था कैसे हो गया , कलम कहे फिर बात
-------------------------------------
आदरणीय आशीष भाई,बहुत सुन्दर लगी आपकी रचना मुझे हार्दिक बधाई आपको //सादर
आदरणीय आशीष भाई , चन्द लाइनो मे वर्तमान का अच्छा चित्रण किया आपने , बधाई !!
आदरनीय रविकर जी
बहूत बहूत धन्यवाद
ब्रजेश जी : धन्यवाद एवं आभार
अरुण शर्मा जी , आभार आपका और मनोबल बांधे रखने के लिए
बहुत ही सुन्दर रचना भाई वाह बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.
बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है आपने! बहुत खूब! आपको हार्दिक बधाई!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online