बीमारी के अर्थ दो , नहि केवल ये रोग
इक तो केवल रोग है, दूसर केवल योग
दूसर केवल योग, बहूत है कठिन समझना
प्रेम रोग इक भाव , इसे है सरल समझना
कह सागर सुमनाय,कहो अब कुशल तिहारी
रोग योग दो अर्थ , प्रेम कहा या बिमारी
Comment
जय हो आदरणीय, बहुत अच्छी लगी आपकी प्रस्तुति,सादर
आप ने प्रयास किया ये भी बड़ी बात है ... सुन्दर प्रयास के लिए बधाई आप को
शिव नतायण जी , अन्नपूरना जी , ब्रिजेश जी , आप सभी का सुझाव् का स्वागत है , शीघ्र ही एक और कुंडली लेकर उपस्थित होता हूँ |
रविकर जी विशेष आभार , कुंडली को सही कर पप्रेषित करने के लिए
Dr.Prachi Singh जी : संशय समाधान के लिए आप का आभार .......
बीमारी के अर्थ दो , नहि केवल ये रोग |
इक तो केवल रोग है, दूसर केवल योग
दूसर केवल योग, बहुत है कठिन समझना
प्रेम रोग इक भाव , भाव में नहीं उलझना
कह सागर सुमनाय, कहो अब कुशल तिहारी
रोग योग दो अर्थ , प्रेम भी है बीमारी ||
क्या बात है क्या बात है क्या बात-
सफल प्रयास-
आभार आदरणीय-
//मेरी इस छंद में प्रथम और अंतिम शब्द में मात्र भिन्नता है , क्या ये विधान संगत है या नहीं//
आ० आशीष जी .. एक ही अभिव्यक्ति में बीमारी और बिमारी दो तरह से एक ही शब्द का लिखा जाना बिल्कुल गलत है... इससे यही परिलक्षित होता है कि जहाँ जो बन पड़े फिट कर दो वाली अप्रोच से रचना को लिखा गया है.. और यह भ्रम होता है कि रचनाकार के लिए कौन सा शब्द प्रारूप सही है कौन सा गलत, रचाकार उसे स्वयं ही नहीं जानता
शब्द को परिवर्तित करके गलत प्रारूप में लिखा जाना हिज्जा दोष होता है जो रचनाओं को असहज बना देता है... इसके प्रति सावधान रहना चाहिये
सादर.
विचार को संयत कर लेने के बाद ही रचना करनी चाहिए। खुद की अस्पष्टता रचना में भी झलकती है। जैसा आपकी रचना में हुआ है। रोग, योग, बीमारी में आप भी भटक रहे हैं और पाठक को भी भटका रहे हैं।
बहरहाल, इस प्रयास के लिए बधाई!
आ० //कह सागर सुमनाय// की जगह यदि कहे सागर सुमन कविराय // या सागर कविराय // या सुमन कविराय // का प्रयोग कर मात्राए गिन लें । आ० प्राची जी के सुझाव पर मै सहमत हूँ ।
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ. |
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