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उन्हें चस्का बहुत था बेरुखी हमसे भी करने का 

डुबो कर आँख मेरी पीर में काजल लगाने का   
तुम्हारे इश्क की सांसें अभी कागज में तैरेंगी 
कभी उड़कर जो पहुंचे तुम तलक जादू है लफ्जों का 
-------------------------------------------------------
हवा भी रुख बदल लेती दिया जब प्यार जलता है 
अँधेरा भी करे साजिश मगर सूरज निकलता है  
कोई कर्जा पुराना है नयन बादल का सागर पर 
कभी बदले नहीं वो पर जमाना ही बदलता है  
-------------------------------------------------------  
पसीने की बयारों से कँवल बनकर के खिलता है 
कठिन हर प्रश्न का उत्तर सरल बनकर के मिलता हैं  
मगर उम्मीद क्यूँ करता है अंधे से भी काजल की 
मोहब्बत से मिला हमको वही अक्सर बदलता है 
 ---------------------------------------------------------
मौलिक एवं अप्रकाशित 
आशीष श्रीवास्तव ( सागर सुमन ) 

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Comment

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Comment by Ashish Srivastava on September 4, 2013 at 8:16pm

Rajesh Kumar Jha जी 

सादर आभार 

Comment by Ashish Srivastava on September 4, 2013 at 8:15pm

बृजेश नीरज : हार्दिक आभार , कहाँ कहां स्पष्ट नहीं है ? और ब्रजेश जी ये आवश्यक भी नहीं , हर कहन हर पाठक को समझ आ ही जाये ..... फिर भी कहीं त्रुटी हुई हो तो अवश्य सुधार करेंगे ........

Comment by राजेश 'मृदु' on September 4, 2013 at 5:57pm

बहुत भायी आपके मुक्‍तक, सादर

Comment by बृजेश नीरज on September 4, 2013 at 12:33pm

अच्छा प्रयास है। कहन की स्पष्टता पर ध्यान दें। आपको हार्दिक बधाई!

 

Comment by Meena Pathak on September 4, 2013 at 8:37am

बहुत सुन्दर अभिव्क्ति .. बधाई आप को

Comment by Ashish Srivastava on September 4, 2013 at 7:07am

आ annapurna bajpai जी 

स्नेहिल सराहना के लिए वंदन 

Comment by Ashish Srivastava on September 4, 2013 at 7:05am

आ ram shiromani pathak जी आप 

आप सभी के मार्ग दर्शन से ही रचे है ये मुक्तक 

आभार सादर आपका ...... मुक्तक रचना की सराहना के  लिए 

Comment by Ashish Srivastava on September 4, 2013 at 7:04am

श्री गिरिराज भंडारी जी 

आभार सादर आपका ...... मुक्तक रचना की सराहना के  लिए 

Comment by विजय मिश्र on September 3, 2013 at 5:14pm
"तुम्हारे इश्क की सांसें अभी कागज में तैरेंगी
कभी उड़कर जो पहुंचे तुम तलक जादू है लफ्जों का " - यहाँ लफ्जों की जादूगरी दाद के काबिल है और बेशक इसने जो मायने जज्ब किये है वह बेपनाह खूबसूरत है .शुक्रिया आशीषजी .
Comment by annapurna bajpai on September 3, 2013 at 4:05pm

आ० आशीष जी सुंदर भावभिव्यक्ति के लिए बधाई । 

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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