For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसने कहा ? आप स्वतंत्र नही हैं ( एक चिंतन )

किसने कहा ? आप स्वतंत्र नही हैं  

आप तो स्वभाव से स्वतंत्र हैं

और पहले भी थे , सदा से थे ।

जैसे आप स्वतंत्र हैं

हाथ घुमाने के लिये

तब तक , जब तक कि ,

किसी का चेहरा न सामने आये ।

मुश्किल तो यही है

आप रुकना नही चाहते

किसी का चेहरा आने पर भी ।

लेकिन , रुकना तो होगा ही |

क्योंकि, चेहरे के पास से शुरू हो जाती है

किसी और की स्वतंत्रता !!

किसने कहा ? आप स्वतंत्र नही हैं

आप स्वतंत्र हैं

नंगे रहने के लिये

अपने हमाम में,

अपनी नहानी तक , या

बीहड़ जंगलों में,

जंगलो की सीमओं तक ।

मुश्किल तो यही है ,

आप बाहर भी नंगा रहना चाहतें हैं ,

जहां से सामाजिक बंधन की शुरुवात है ,

और शुरुवात है स्वतंत्रता की

उनकी ,जो समाजिक हैं ।

पत्थर लिये तैयार हैं ।

अपनी स्वतंत्रता बचाने के लिये ।

सोचना तो होगा ही !!!

किसने कहा ?आप प्रतिबन्धित हैं

आप स्वतंत्र हैं , आदि काल से 

कुछ भी सोचने के लिये,अपने अन्दर

कुछ भी कहने के लिये

अपने आप से ।

कुछ भी लिखने के लिये

अपनी डायरी में ।

मुश्किल तो यही है कि,

आप अभिव्यक्त भी होना चाहते हैं ,

आम लोगों के बीच , समक्ष ,

जहां से शुरू होती है ,

स्वतंत्रता आम लोगों की,

आलोचना की , स्वीकार की , अस्वीकार की स्वतंत्रता

सबके पास , एक एक छन्नी है 

छनना तो पड़ेगा ही !

सोचना तो पड़ेगा ही आपको

खुद को बदलना है , या

समाज को !!!!

किसने कहा आप प्रतिबन्धित हैं

आप तो स्वतंत्र हैं , सदा से ,

सदा  के लिये  !!!!

******************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित 

 

Views: 694

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 1, 2013 at 12:54pm

आदरणीय विजिया जी , हौसला अफज़ाई  के लिये  आपका दिली शुक्रिया !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 1, 2013 at 12:52pm

आदरणीय केवल भाई , प्रस्तुतिकरण की सराहना केलिये आपका हारदिक आभार !!

Comment by vijayashree on August 31, 2013 at 11:27pm

बहुत सुंदर चिंतन 

अपनी स्वतंत्रता की लकीर तो हमें स्वयं ही तय करनी है 

और उन तयशुदा लकीरों पर लोगों की स्वीकृति ..अस्वीकृति को भी 

बधाई स्वीकारें गिरिराज भंडारी जी 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 31, 2013 at 9:19pm

आ0 भण्डारी भाई जी, वाह! बात तो पुरानी जरूर है लेकिन समझाने और कथ्य का प्रस्तुतिकरण दिल को छू गया। एक बेहतरीन रचना। हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 31, 2013 at 7:03pm

आदरणीया शुभ्रा जी , आपका बहुत बहुत आभार , रचना की सराहना के लिये !!

Comment by shubhra sharma on August 31, 2013 at 6:41pm

आदरणीय गिरिराज जी ,बहुत सही चिंतन किया  है आपने, सभी लोग  स्वतन्त्र है पर दूसरे की स्वतंत्रता की कीमत पर नहीं ,बहुत बहुत बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 31, 2013 at 5:01pm

जितेन्द्र भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका बहुत शुक्रिया !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 31, 2013 at 5:00pm

आदरणीया आन्नपूर्णा जी , सराहना के लिये आपका बहुत बहुत् आभार !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 31, 2013 at 4:17pm

वाह! बहुत प्रभावशाली रचना, हार्दिक बधाई आदरणीय गिरिराज जी

Comment by annapurna bajpai on August 31, 2013 at 3:16pm
किसने कहा आप प्रतिबन्धित हैं
आप तो स्वतंत्र हैं , सदा से ,
सदा के लिये !!!!
वाह ! आदरणीय भण्डारी जी बहुत बढ़िया । शुभकमनायें आपको । सादर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
5 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
23 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service