For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वादों  की बौछार के साथ 
नेता जी प्रगट हुए 
बिन बुलाये प्रेत की तरह 
मटरू को नौकरी 
गाँव में पक्की सड़क 
विद्यालय ,चिकित्सालय 
आदि आदि का निर्माण 
शब्दों के महाजाल  से
समस्याओं के सागर का 
पूरा का पूरा पानी 
झट से पी  गए
गटाक एक बार में    
लोग बड़े ध्यान से सुन रहे थे 
कुछ दिन पहले 
जो गूंगे बहरे लगते थे मुझे 
इनको क्या पता 
दाग लगे कपड़ों की तरह 
टांग दिए जायेंगे 
स्वार्थ की खूँटी पर 
पहले की तरह 
**************************
**************************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

मौलिक /अप्रकाशित

Views: 712

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on September 4, 2013 at 2:10pm

 हार्दिक  आभार  आदरणीया गीतिका  जी //सादर 

Comment by वेदिका on September 4, 2013 at 2:07pm

बढ़िया अभिव्यक्ति !!

बधाई !!

Comment by ram shiromani pathak on September 4, 2013 at 1:56pm

बहुत  बहुत  आभार  आदरणीया मीना  जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on September 4, 2013 at 1:56pm

बहुत  बहुत  आभार  आदरणीय गिरिराज जी //सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 4, 2013 at 12:30pm
राम शिरोमनी भाई , बहुत अच्छी अतुकांत रचना , बहुत अच्छा राजनीतिक व्यंग, बधाई !!!!!
Comment by Meena Pathak on September 4, 2013 at 9:02am

सुन्दर रचना हेतु बधाई स्वीकारें

Comment by ram shiromani pathak on September 3, 2013 at 8:40pm

बहुत  बहुत  आभार  आदरणीय रविकर जी,स्नेह यूँ ही बनाए रखें  //सादर

Comment by ram shiromani pathak on September 3, 2013 at 8:39pm

बहुत  बहुत  आभार  आदरणीय भाई ब्रिजेश जी,स्नेह यूँ ही बनाए रखें  //सादर

Comment by रविकर on September 3, 2013 at 7:58pm

गजब अभिव्यक्ति-
सत्य सार्थक
आभार प्रिय "दीपक"

Comment by बृजेश नीरज on September 3, 2013 at 7:18pm

आदरणीय राम भाई आपके प्रयासों से लग रहा है कि आप अतुकान्त पर आजकल कार्य कर रहे हैं। सतत प्रयास से यह विधा भी आपकी होगी।
आपको हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
9 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service