मुझको अब एक ख़्वाब समझने लगे हैं आप।
सूखा हुआ गुलाब समझने लगे हैं आप॥
यूं लखनऊ में रहके गुजारे जो चार दिन,
अपने को अब नवाब समझने लगे हैं आप॥
तस्वीर पर ज़रा सी जो तारीफ़ हो गयी,
अपने को माहताब समझने लगे हैं आप॥
दो चार जुगनुओं से ज़रा दोस्ती हुई,
अपने को आफ़ताब समझने लगे हैं आप॥
घर से निकल के आप जो सड़कों पे आ गए,
उसको ही इंकलाब समझने लगे हैं आप॥
दो चार ज़िंदगी में ग़लत लोग क्या मिले,
दुनिया को ही ख़राब समझने लगे हैं आप॥
आँखों में मेरी अब भी तो परदा हया का है,
क्यूँ हमको बेनक़ाब समझने लगे हैं आप॥
वो लोग आजकल हैं जो ख़बरों की सुर्खियां,
उनको ही कामयाब समझने लगे हैं आप॥
थोड़ी सी मिल गयी है जो “सूरज” की रौशनी,
अपने को बारयाब समझने लगे हैं आप॥
डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”
आफ़ताब= सूरज, माहताब=चाँद, इंकलाब= क्रांति, बारयाब= पहुंचा हुआ
(मौलिक और अप्रकाशित )
Comment
बहुत सुन्दर गज़ल आ० डॉ० सूर्या बाली जी
बहुत समय बाद आपकी कोई गज़ल पड़ने को मिली...
सादर धन्यवाद
आदरनीय सूर्या बाली जी , पूरी गज़ल बहुत सुन्दर !! एक एक शे र सुन्दर !! लाजवाब !! हार्दिक बधाई !!
वाह! बहुत खूब! लाजवाब! आपको हार्दिक आभार!
वैसे मैं लखनऊ में रहता हूं लेकिन खुद को नवाब तो नहीं समझता। :)))))))))))))))))))))
लखनऊ में रह के .. घर से निकलके .. ख़बरों की सुर्ख़ियों वाले शेर वाह लाजवाब डॉ साहिब ...पूरी ग़ज़ल जिंदाबाद हुई है !! आपके भाव और ख़याल के क्या कहने और क्या सुन्दरता से शिल्प में पिरोया है ...बहुत बहुत बधाई !!
दो चार ज़िंदगी में ग़लत लोग क्या मिले,
दुनिया को ही ख़राब समझने लगे हैं आप॥.........वाह! क्या कहने, बहुत खूब
वो लोग आजकल हैं जो ख़बरों की सुर्खियां,
उनको ही कामयाब समझने लगे हैं आप॥.........यह शेर बहुत पसंद आया
उम्दा गजल पर दाद कुबूल कीजिये आदरणीय डा. सूर्या जी
अति सुंदर आशआर , हर एक अपने आप मे कुछ न कुछ कहता हुआ । बहुत बधाई आपको इस सुंदर गज़ल रचना के लिए आदरणीय सूर्य बाली जी ।
वाह .. बहुत खूब... हार्दिक बधाई क़ुबूल करें आदरणीय
सुरज भाई, राधे- राधे। हार्दिक बधाई इतनी सुंदर गजल और सटीक शब्दों के लिए॥
तस्वीर पर ज़रा सी जो तारीफ़ हो गयी,
अपने को माहताब समझने लगे हैं आप॥
दो चार जुगनुओं से ज़रा दोस्ती हुई,
अपने को आफ़ताब समझने लगे हैं आप॥
दो चार ज़िंदगी में ग़लत लोग क्या मिले,
दुनिया को ही ख़राब समझने लगे हैं आप॥///वाह आदरणीय बहुत खूब
वैसे तो पूरी ग़ज़ल ही ज़ोरदार है लेकिन ये अशआर कुछ ज्यादा ही पसंद आये //हार्दिक बधाई आपको आदरणीय सुर्यबाली जी //सादर
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