जब कभी अम्न की तदबीर नई होती है॥
हर तरफ जंग की तस्वीर नई होती है॥
ख़त्म कर देती है सदियों की पुरानी रंजिश,
वक़्त के हाथ में शमशीर नई होती है॥
पहले होते हैं यहाँ क़त्ल धमाके दंगे,
और फिर अम्न पे तक़रीर नई होती है॥
मेरे हर ख़्वाब में आता है नज़र तू ही तू,
फिर भी हर ख़्वाब की ताबीर नई होती है॥
गुल हो या ख़ार यहाँ जो भी बनाता है ख़ुदा,
उसके हर चीज की ता’मीर नई होती है॥
मेरा अंदाज़ ए बयां चाहे पुराना हो मगर,
मेरे हर लफ़्ज़ की तासीर नई होती है॥
आजकल के वो ज़माने का है राँझा यारों
रोज़ बाहों में कोई हीर नई होती है॥
जब भी होता है हसीं ताजमहल का चर्चा,
सामने प्यार की जागीर नई होती है॥
रोज़ आज़ादी का लिखता हूँ फ़साना “सूरज”
रोज़ ही पाँव मे ज़ंजीर नई होती है॥
डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”
*तदबीर=निर्माण ,तक़रीर =बहस ,ताबीर= स्वप्नफल , तामीर =बनावट तासीर=प्रभाव, गुण
(मौलिक और अप्रकाशित )
Comment
एक सुन्दर ग़ज़ल सुनाने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद, डॉक्टर साहब.
ढेरों दाद लें.
इन पर विशेष बधाई लें -
पहले होते हैं यहाँ क़त्ल धमाके दंगे,
और फिर अम्न पे तक़रीर नई होती है॥
मेरा अंदाज़ ए बयां चाहे पुराना हो मगर,
मेरे हर लफ़्ज़ की तासीर नई होती है॥
रोज़ आज़ादी का लिखता हूँ फ़साना “सूरज”
रोज़ ही पाँव मे ज़ंजीर नई होती है॥
बधाई.
वाह वाह वाह वाह मस्त मस्त मस्त जबरदस्त आदरणीय सर जबरदस्त क्या लाजवाब अशआर हुए हैं सच कहूँ तो आज दोहपर में आपकी ग़ज़ल पढ़ी थी उस समय टिपण्णी नहीं की मन एक बात आई क्यूँ न एक बार रात को तसल्ली से दोबारा आनंद उठाया जाए. दोनो दफा वही ताजगी महसूस हुई आनंद कम नहीं हुआ. ह्रदय से ढेरों बधाई प्रेषित है स्वीकार करें.
बहुत खूब | उम्दा गजल सभी अशआर एक से बढ़ कर एक | हार्दिक बधाई डॉ सूर्या बाली "सूरज" जी -
आपकी क्या तारीफ़ करे भाई,
आपकी हर बात नई लगती है |
आ0 डाँ बाली जी बहुत ही सुन्दर ........ रचना बधाई
//जब कभी अम्न की तदबीर नई होती है
हर तरफ जंग की तस्वीर नई होती है// वाह बहुत खूब
खूबसूरत मतला डॉ बाली सर
बकिया अशआर भी अच्छे हैं, इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई कुबूल फरमाएँ
Mukammal gajal, kaabile daad hai sir. aapki lekhni ko nanam.
आजकल के वो ज़माने का है राँझा यारों
रोज़ बाहों में कोई हीर नई होती है॥.......वाह! बहुत ही शानदार शेर
जब भी होता है हसीं ताजमहल का चर्चा,
सामने प्यार की जागीर नई होती है॥.......वाह वाह! बिलकुल सच कहा
आदरणीय डा.सूर्या जी, बेहतरीन गज़ल पेशकश पर, तहे दिल से बधाई..
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