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डॉ. सूर्या बाली "सूरज"'s Blog (41)

रस्म ए उलफ़त की बात करते हैं

रस्म ए उलफ़त की बात करते हैं

हम मुहब्बत की बात करते हैं



वहशते ग़म के साथ रहके भी

हम मसर्रत की बात करते हैं



जो इशारे हैं उनकी आँखों के

सब शरारत की बात करते हैं



ज़िक्र होता है वस्ल का जब भी

वो क़यामत की बात करते हैं



पूछता है जो कोई हाले दिल

उसकी रहमत की बात करते हैं



दिल में क्या है बयां नहीं करते

बस सियासत की बात करते हैं



क्यूँ डरें इश्क़ में ज़माने से

हम बग़ावत की बात करते हैं



जो लुटेरे थे… Continue

Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 17, 2016 at 1:56am — 12 Comments

बेवफ़ा सुन ले तुझे प्यार किया है मैंने

साहब ए इश्क़1 को अफ़गार2 किया है मैंने

बेवफ़ा सुन ले तुझे प्यार किया है मैंने

 

कोई सौदागर ए ग़म3 हो तो इसे ले जाये

दर्द ओ ग़म को सरे बाज़ार किया है मैंने

 

दिल की दहलीज़4 पे रख के तेरी यादों के चिराग

हर शब-ए-हिज़्र5 को गुलज़ार किया है मैंने

 

दर्द पिघले तो न बहने लगे आँखों से कहीं

दिल के ज़ख़्मों को ख़बरदार किया है मैंने

 

उसकी रुसवाई6 न हो…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 26, 2016 at 1:30am — 5 Comments

उम्र गुज़रेगी कैसे तेरे बग़ैर

दे दिया दिल किसी को जाने बग़ैर

जी न पाऊँ अब उसको देखे बग़ैर



वो ही धड़कन वही है सांसें अब

ज़िंदगी कुछ नहीं है उसके बग़ैर



एक पल काटना भी मुश्किल है

उम्र गुज़रेगी कैसे तेरे बग़ैर



सोचता हूँ के भूल जाऊँ तुझे

रह नहीं पाता तुझको सोचे बग़ैर



कोई गुलशन कहाँ मुकम्मल है

फूल तितली गुलाब भौंरे बग़ैर



ज़िंदगी ज़िंदगी नहीं है अब

काटता हूँ जो रोज़ तेरे बग़ैर



रिश्तों में प्यार की नमी रखिए

सूख जाते हैं फूल सींचे… Continue

Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 20, 2016 at 9:59pm — 6 Comments

तपन है आग है शोले हैं चिंगारी है सीने में

तपन है आग है शोले हैं चिंगारी है सीने में

अजब सी बेक़रारी है बिछड़ कर तुमसे, जीने में



मेरे दिल की हर इक धड़कन यही फ़रियाद करती है

बुला लीजै मेरे आका मुझे भी अब मदीने में



ज़रूरी है नहीं की हर सफ़र अंजाम तक पहुंचे

गुहर मिलते नहीं सबको मुहब्बत के दफ़ीने में



गरजते बादलों के ख़ौफ़ से उसका लिपट जाना

बहुत ही याद आता है वो बारिश के महीने में



कोई इक दोस्त आ जाए कोई दुश्मन ही आ जाए

मज़ा आता नहीं "सूरज" अकेले जाम पीने में



डॉ… Continue

Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 12, 2016 at 12:36pm — 11 Comments

क्या पता था इश्क़ मे ये हादसा हो जाएगा

क्या पता था इश्क़ मे ये हादसा हो जाएगा

वो वफ़ा की बात करके बेवफ़ा हो जाएगा

 

रास्ता पुरख़ार है या मौसमे गुल से भरा

जब भी निकलोगे सफ़र में सब पता हो जाएगा

 

रफ़्ता रफ़्ता ज़िंदगी भी बेवफ़ा हो जाएगी

रफ़्ता रफ़्ता इस जहां में सब फ़ना हो जाएगा

 

धड़कनें पूछेंगी ख़ुद से बेक़रारी का सबब

दो दिलों के दरमियाँ जब फ़ासला हो जाएगा

 

कौन किसका साथ देता है यहाँ पे उम्र भर

शाम तक तेरा ये साया भी जुदा हो जाएगा

 

अपने…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 6, 2016 at 11:56pm — 14 Comments

ज़िंदगी ही हो गयी क़ातिल करूँ तो क्या करूँ

हो गया दिल इश्क़ में बिस्मिल करूँ तो क्या करूँ

ज़िंदगी ही हो गयी क़ातिल करूँ तो क्या करूँ



इक तेरे दर के सिवा लगता नहीं है दिल कहीं

रास आती है नहीं महफिल करूँ तो क्या करूँ



तू ही साँसों में है धड़कन मे ख़यालों में है तू

बस तुम्ही को चाहता है दिल करूँ तो क्या करूँ



लीक से हटकर अलग चलने की है फ़ितरत मिरी

भीड़ में होता नहीं शामिल करूँ तो क्या करूँ



इक तेरे जाने से रस्ते हो गए मुश्किल मिरे

दूर अब लगने लगी मंज़िल करूँ तो क्या… Continue

Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on March 29, 2016 at 10:00am — 8 Comments

प्यास होंठों पे निगाहों में उदासी रह गई

ग़ज़ल



जबसे उनसे मिलने की चाहत अधूरी रह गई

प्यास होंठों पे निगाहों में उदासी रह गई



बैठकर धीरे से लम्बी कार में वो चल दिए

बैलगाड़ी प्यार की पीछे हमारी रह गई



फूल गुलदस्ते किताबें ख़त जला डाले सभी

फिर भी उनके प्यार की दिल में निशानी रह गई



दिन महीने साल बीते जाम आँखों से पिए

मुद्दतों के बाद भी मुझमें ख़ुमारी रह गई



हम मिले मिलके चले कुछ दूर राहे इश्क़ में

मिल गई मंज़िल मगर कुछ बेक़रारी रह गई



बेचकर सबकुछ भी दे… Continue

Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on March 25, 2016 at 12:30pm — 1 Comment

किसी की झील सी आँखों में फिर से खो के देखूँ

मुहब्बत की डगर में फिर किसी का हो के देखूँ

किसी की झील सी आँखों में फिर से खो के देखूँ

 

अब इन आँखों से उसके प्यार का चश्मा उतारूँ

जहां में हैं बहुत से रंग आँखें धो के देखूँ

 

जिसे मैं प्यार करता था वो मेरा हो न पाया

जो मुझसे प्यार करता है मैं उसका हो के देखूँ

 

बहुत दिन हो गए आँखों को कोई ख़्वाब देखे

चलो शानो पे सर रख कर किसी के सो के देखूँ

 

कोई तो बढ़ के 'सूरज' आँसुओ को पोछ लेगा

मुहब्बत में चलो इक…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on December 22, 2015 at 11:00pm — 8 Comments

मुझको तुम्हारी याद ने सोने नहीं दिया

मुझको तुम्हारी याद ने सोने नहीं दिया

तन्हाइयों की भीड़ में खोने नहीं दिया

 

चाहा तो बार बार के हो जाऊँ बेवफ़ा

लेकिन तुम्हारे प्यार ने होने नहीं दिया

 

अब तो धुंवाँ धुंवाँ सी हुई मेरी ज़िंदगी

जलने दिया न, राख़ भी होने नहीं दिया

 

लब पे सजा लिए हैं तवस्सुम की झालरें

एहसास ग़म का दुनिया को होने नहीं दिया

 

आँखों में अश्क आप की आ जाएँ ना कहीं

इस डर से अपने आप को रोने नहीं दिया

 

अपना सका मुझे न…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on December 9, 2015 at 11:30pm — 9 Comments

ज़िंदगी का रंग फीका था मगर इतना न था

ज़िंदगी का रंग फीका था मगर इतना न था

इश्क़ में पहले भी उलझा था मगर इतना न था

 

क्या पता था लौटकर वापस नहीं आएगा वो

इससे पहले भी तो रूठा था मगर इतना न था

 

दिन में दिन को रात कहने का सलीका देखिये

आदमी पहले भी झूठा था मगर इतना न था

 

अब तो मुश्किल हो गया दीदार भी करना तिरा

पहले भी मिलने पे पहरा था मगर इतना न था

 

उसकी यादों के सहारे कट रही है ज़िंदगी

भीड़ में पहले भी तन्हा था मगर इतना न…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on November 15, 2015 at 2:00pm — 19 Comments

कहा किसने कि राहे इश्क़ में धोका नहीं है

कहा किसने कि राहे इश्क़ में धोका नहीं है

यहाँ जो दिखता है वो दोस्तों होता नहीं है

 

जो कुछ पाया ज़माने की नज़र में था हमेशा

गंवाया जो उसे इस दुनिया ने देखा नहीं है

 

गुज़ारी है वफ़ादारों में सारी उम्र मैंने

दग़ा करना किसी से भी मुझे आता नहीं है

 

मुझे मालूम है इक दिन जुदा होना है सबको

मगर ऐसे भी कोई दूर तो जाता नहीं है

 

मुहब्बत के सफ़र में हमसफ़र जितने थे मेरे

कोई भी साथ थोड़ी दूर चल पाया नहीं…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 20, 2014 at 12:37am — 10 Comments

ज़िंदा हूँ मगर जीने का एहसास नही है

इक उसके चले जाने से कुछ पास नही है

ज़िंदा हूँ मगर जीने का एहसास नही है



वो दूर गया जब से ये बेजान है महफिल

साग़र है सुराही हैं मगर प्यास नही है



सुनने को तिरे पास भी जब वक़्त नही तो

कहने को मिरे पास भी कुछ ख़ास नहीं है

 

इस रूह के आगोश में है तेरी मुहब्बत

माना के तिरा प्यार मिरे पास नही है



रावण तो ज़माने में अभी ज़िंदा रहेगा

क़िस्मत में अभी राम के बनवास नही है



फिर कैसे यक़ी तुझपे करेगा ये ज़माना,

ख़ुद तुझको…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on March 18, 2014 at 11:30pm — 21 Comments

सूरज सफ़र में है तेरी यादों के साथ साथ

बेघर हुए हैं ख़्वाब धमाकों के साथ साथ।

वहशत भी ज़िंदा रहती है साँसों के साथ साथ॥

 

जब रौशनी से दूर हूँ कैसी शिकायतें,

अब उम्र कट रही है अँधेरों के साथ साथ॥

 

दरिया को कैसे पार करेगा वो एक शख़्स,

जिसने सफ़र किया है किनारों के साथ साथ॥

 

वीरान शहर हो गया जब से गया है तू,

हालांकि रह रहा हूँ हजारों के साथ साथ॥

 

पत्ता शजर से टूट के दरिया पे जो गिरा,

आवारा वो भी हो गया मौजों के साथ…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on November 24, 2013 at 3:30pm — 11 Comments

यादों के साथ साथ तेरी चल रहा हूँ मैं

फ़ुर्कत की आग दिल में लिए जल रहा हूँ मैं।

यादों के साथ साथ तेरी चल रहा हूँ मैं॥

 

आ जा अभी भी वक़्त है तू मिल ले एक बार,

इक बर्फ़ की डली की तरह गल रहा हूँ मैं॥

 

संजीदा कब हुआ है मुहब्बत में तू मेरी,

हरदम तेरी नज़र में तो पागल रहा हूँ मैं॥

 

तू तो भुला के मुझको बहुत दूर हो गया,

तन्हाइयों के बीच मगर पल रहा हूँ मैं॥

 

रोने से तेरे मिटता है हर पल मेरा वजूद,

क्यूंकी तुम्हारी आँख का काजल रहा हूँ…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on November 18, 2013 at 11:30pm — 12 Comments

आशियाने दिल में आख़िर आजकल ठहरा है कौन

आशियाने दिल में आख़िर आजकल ठहरा है कौन।

रात दिन मेरे ख़यालो-ख़्वाब में रहता है कौन॥

 

किसके आने से हुई गुलज़ार दिल की वादियाँ,

हर तरफ मंज़र बहारों का लिए बैठा है कौन॥

 

चेहरे पे चेहरा लगाए फिर रहा है आदमी,

है बहुत मुश्किल बताना सच्चा है झूठा है कौन॥

 

कुछ न कुछ तो ख़ामियाँ मुझमें भी हैं तुझमें में भी हैं,

सबकी नज़रों में यहाँ तुम ही कहो अच्छा है कौन॥

 

है यकीं उसको यहाँ पे आने वाली है बहार,

वरना वीराने चमन…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on November 8, 2013 at 8:00am — 16 Comments

इक शख़्स इस हयात का नक़्शा बदल गया

इक शख़्स इस हयात का नक़्शा बदल गया।

दिल के चमन का रंगो बू सारा बदल गया॥

सोचा था अब न प्यार करेगा किसी से दिल,

उससे मिला तो सारा इरादा बदल गया॥

महफिल में हो रही थी उसी की ही गुफ़्तगू,

देखा उसे तो सबका ही चेहरा बदल गया॥

जबसे उसे सहारा किसी और का मिला,

उस दिन से बातचीत का लहज़ा बदल गया॥

अब रात दिन ख़यालों में ख़्वाबों में है वही,

अंदाज़ मेरे जीने का सारा बदल गया॥

आए गए हज़ार मगर कुछ नहीं…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on October 25, 2013 at 1:00am — 16 Comments

अपने को आफ़ताब समझने लगे हैं आप

मुझको अब एक ख़्वाब समझने लगे हैं आप।

सूखा हुआ गुलाब समझने लगे हैं आप॥

 

यूं लखनऊ में रहके गुजारे जो चार दिन,

अपने को अब नवाब समझने लगे हैं आप॥

 

तस्वीर पर ज़रा सी जो तारीफ़ हो गयी,

अपने को माहताब समझने लगे हैं आप॥

 

दो चार जुगनुओं से ज़रा दोस्ती हुई,

अपने को आफ़ताब समझने लगे हैं आप॥

 

घर से निकल के आप जो सड़कों पे आ गए,

उसको ही इंकलाब समझने लगे हैं आप॥

 

दो चार ज़िंदगी में ग़लत लोग क्या…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on September 4, 2013 at 1:00am — 10 Comments

हर तरफ जंग की तस्वीर नई होती है॥

जब कभी अम्न की तदबीर नई होती है॥

हर तरफ जंग की तस्वीर नई होती है॥

ख़त्म कर देती है सदियों की पुरानी रंजिश,

वक़्त के हाथ में शमशीर नई होती है॥

पहले होते हैं यहाँ क़त्ल धमाके…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 30, 2013 at 1:37am — 8 Comments

वफ़ा कि राह में सब कुछ लुटा दिया अपना

वफ़ा कि राह में सब कुछ लुटा दिया अपना॥

मगर न बदला मुहब्बत का फलसफ़ा अपना॥

बड़े खुलूस से तुझको है मशवरा अपना।

हर एक शख़्स को देना नहीं पता अपना॥

दिलों के बीच मुहब्बत के गुल खिलाता गया,

जहाँ- जहाँ से भी गुजरा है काफ़िला अपना॥

हम एक दूजे से चुपचाप हो गए है अलग,

ज़रा सी बात पे टूटा है सिलसिला अपना॥

कुछ इस अदा से दिखा के वो चाँद सा चेहरा,

बस एक पल में दिवाना बना गया अपना॥

ये चंद साँसे भी…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 15, 2013 at 1:00am — 8 Comments

सफ़र में आँधियाँ तूफ़ान ज़लज़ले हैं बहुत

सफ़र में आँधियाँ तूफ़ान ज़लज़ले हैं बहुत॥

मुसाफ़िरों के भी पावों में आबले हैं बहुत॥

ख़ुदा ही जाने मिलेगी किसे किसे…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on April 19, 2013 at 12:30pm — 11 Comments

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