आशियाने दिल में आख़िर आजकल ठहरा है कौन।
रात दिन मेरे ख़यालो-ख़्वाब में रहता है कौन॥
किसके आने से हुई गुलज़ार दिल की वादियाँ,
हर तरफ मंज़र बहारों का लिए बैठा है कौन॥
चेहरे पे चेहरा लगाए फिर रहा है आदमी,
है बहुत मुश्किल बताना सच्चा है झूठा है कौन॥
कुछ न कुछ तो ख़ामियाँ मुझमें भी हैं तुझमें में भी हैं,
सबकी नज़रों में यहाँ तुम ही कहो अच्छा है कौन॥
है यकीं उसको यहाँ पे आने वाली है बहार,
वरना वीराने चमन में बेसबब आता है कौन॥
मुश्किलों के दौर तो रहते हैं मौसम की तरह,
शर्त है इन मौसमों में देर तक टिकता है कौन॥
झूठ के पत्थर से जो टकराया सच का आईना,
है ज़रा मुश्किल समझना दोनों में टूटा है कौन॥
आ रहे होंगे इलेक्शन मुझको लगता है क़रीब,
वरना इतनी सादगी से आजकल मिलता है कौन॥
सब यहीं रह जाता है अच्छा बुरा ऐ दोस्तों,
ज़र ज़मीं जागीर लेकर साथ में जाता है कौन॥
नूर से किसके हैं रौशन चाँद तारे कहकशां,
रंगो बू गुलशन के फूलों में यहाँ भरता है कौन॥
उसको भी होगी जरूरत रौशनी की धूप की,
वरना इतनी देर तक “सूरज” को सह पाता है कौन॥
डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”
(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
आ रहे होंगे इलेक्शन मुझको लगता है क़रीब,
वरना इतनी सादगी से आजकल मिलता है कौन॥
सब यहीं रह जाता है अच्छा बुरा ऐ दोस्तों,
ज़र ज़मीं जागीर लेकर साथ में जाता है कौन॥
ये हुई न बात भाईजी ! सीधे सादे शब्दों में क्या नहीं कह दिया !
दिल से दाद कुबूल कीजिये.
और इन अश’आर पर दादपर दाद लीजिये.. .
है यकीं उसको यहाँ पे आने वाली है बहार,
वरना वीराने चमन में बेसबब आता है कौन॥
झूठ के पत्थर से जो टकराया सच का आईना,
है ज़रा मुश्किल समझना दोनों में टूटा है कौन॥
उसको भी होगी जरूरत रौशनी की धूप की,
वरना इतनी देर तक “सूरज” को सह पाता है कौन॥
दिल खुश कर दिया आपने.
बधाई बधाई बधाई
आ रहे होंगे इलेक्शन मुझको लगता है क़रीब,
वरना इतनी सादगी से आजकल मिलता है कौन॥
उसको भी होगी जरूरत रौशनी की धूप की,
वरना इतनी देर तक “सूरज” को सह पाता है कौन॥
आँखो से दिल मे उतर जाये जो ..ऐसी गजल आज कल कहता है कौन .... आ . सूरज जी बहुत खूब बधाई शुभकामनाये
बहुत ख़ूब
.
झूठ के पत्थर से जो टकराया सच का आईना,
है ज़रा मुश्किल समझना दोनों में टूटा है कौन..... वाह वाह और वाह
किसके आने से हुई गुलज़ार दिल की वादियाँ,
हर तरफ मंज़र बहारों का लिए बैठा है कौन॥
चेहरे पे चेहरा लगाए फिर रहा है आदमी,
है बहुत मुश्किल बताना सच्चा है झूठा है कौन॥/////////////वाह वाह बहुत खूब
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल हुई है आदरणीय सूरज भाई जी…बहुत बहुत बधाई आपको। ..सादर
आदरणीय सूरज भाईजी, वाह...वाह...क्या कहने!...
---------------------------//झूठ के पत्थर से जो टकराया सच का आईना,
है ज़रा मुश्किल समझना दोनों में टूटा है कौन॥//
...... -----------------------सुन्दर गजल प्रस्तुति। हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,
आदरणीय बाली जी ..पूरी ग़ज़ल बेहतरीन है ...पर इन दो शेरो के लिए बिशेष रूप से बधाई कबूलें ..
कुछ न कुछ तो ख़ामियाँ मुझमें भी हैं तुझमें में भी हैं,
सबकी नज़रों में यहाँ तुम ही कहो अच्छा है कौन॥
है यकीं उसको यहाँ पे आने वाली है बहार,
वरना वीराने चमन में बेसबब आता है कौन॥
सादर बधाई के साथ
वाह !!! आदरणीय सूर्याबाली जी, बेहतरीन ग़ज़ल सुनने को मिली.
कुछ न कुछ तो ख़ामियाँ मुझमें भी हैं तुझमें में भी हैं,
सबकी नज़रों में यहाँ तुम ही कहो अच्छा है कौन॥
हम इस अश'आर पर फ़िदा हो गए ........................
वाह वाह.... इस शानदार प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई आ0 बाली जी.....
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