इक शख़्स इस हयात का नक़्शा बदल गया।
दिल के चमन का रंगो बू सारा बदल गया॥
सोचा था अब न प्यार करेगा किसी से दिल,
उससे मिला तो सारा इरादा बदल गया॥
महफिल में हो रही थी उसी की ही गुफ़्तगू,
देखा उसे तो सबका ही चेहरा बदल गया॥
जबसे उसे सहारा किसी और का मिला,
उस दिन से बातचीत का लहज़ा बदल गया॥
अब रात दिन ख़यालों में ख़्वाबों में है वही,
अंदाज़ मेरे जीने का सारा बदल गया॥
आए गए हज़ार मगर कुछ नहीं हुआ,
इक वो चला गया तो ज़माना बदल गया॥
जिसको समझ रहे थे कि बदलेगा न कभी,
पहचानता नहीं है अब ऐसा बदल गया॥
हमराज़ हमसफ़र भी थे मंज़िल भी एक थी,
आया इक ऐसा मोड़ कि रस्ता बदल गया॥
“सूरज” किसी से प्यार अगर मांगना पड़े,
समझो वहीं पे प्यार का रिश्ता बदल गया॥
डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”
( मौलिक और अप्रकाशित )
Comment
वीनस भाई वो लहजा है ...काश यहाँ पर एडिट करने की व्यवस्था होती
भाई जी बहुत प्यारी ग़ज़ल कही है मगर आपको कई मिसरों पर फिर से काम करना पड़ेगा
एक बात - लहजा / लहज़ा में बहुत बड़ा अंतर है इसे स्पष्ट कर लीजिए
“सूरज” किसी से प्यार अगर मांगना पड़े,
समझो वहीं पे प्यार का रिश्ता बदल गया॥"-------------------------वाह बहुत खुब आदरणीय सूरजजी बधाई
लाजवाब ग़ज़ल के लिए बधाई मान्यवर
इस खूबसूरत गज़ल के लिए बधाई।
आए गए हज़ार मगर कुछ नहीं हुआ,
इक वो चला गया तो ज़माना बदल गया....... बहुत खूबसूरत आदरणीय डॉ बाली जी......बधाई इस सुंदर प्रस्तुति के लिए...
बढिया ग़ज़ल हुई है, डॉक्टर साहब. बधाइयाँ और शुभकामनाएँ..
कुछ अरसे बाद आये हैं मग़र दुरुस्त आये हैं. :-))
जिसको समझ रहे थे कि बदलेगा न कभी,...... इस मिसरे को जरा देख लें प्लीज.
सूर्या बालीजी बधाई , सुंदर गज़ल कही।
जिसको समझ रहे थे कि बदलेगा न कभी,
पहचानता नहीं है अब ऐसा बदल गया॥
हमराज़ हमसफ़र भी थे मंज़िल भी एक थी,
आया इक ऐसा मोड़ कि रस्ता बदल गया॥............वाह क्या कहने
आदरणीय सूर्य बाली भाई,बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है /////हार्दिक बधाई आपको
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online