क्या पता था इश्क़ मे ये हादसा हो जाएगा
वो वफ़ा की बात करके बेवफ़ा हो जाएगा
रास्ता पुरख़ार है या मौसमे गुल से भरा
जब भी निकलोगे सफ़र में सब पता हो जाएगा
रफ़्ता रफ़्ता ज़िंदगी भी बेवफ़ा हो जाएगी
रफ़्ता रफ़्ता इस जहां में सब फ़ना हो जाएगा
धड़कनें पूछेंगी ख़ुद से बेक़रारी का सबब
दो दिलों के दरमियाँ जब फ़ासला हो जाएगा
कौन किसका साथ देता है यहाँ पे उम्र भर
शाम तक तेरा ये साया भी जुदा हो जाएगा
अपने बारे मे सभी से पूछते रहते हो क्यूँ
अपना ही किरदार इक दिन आईना हो जाएगा
कौन 'सूरज' है पराया कौन अपना है यहाँ
ओढ़ लो थोड़ा सा ग़म तो सब पता हो जाएगा
डॉ॰ सूर्या बाली 'सूरज'
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
जयनित कुमार मेहता जी आपका बहुत बहुत शुक्रगुजार हूँ नवाज़िश आपकी
अनुज भाई और मदन मोहन जी आप दोनों का बहुत बहुत शुक्रिया । दुवाओं में याद रखिएगा ।
आदरणीय सूर्या बाली जी, आपकी ग़ज़ल में जो सबसे पहले ध्यान खींचने वाली चीज है वो है रवानी . जबान को कहीं तोड़ने मरोड़ने की कोशिश नहीं की गयी है. यह किसी भी ग़ज़लकार के लिए एक बड़ी उपलब्धि होती है . बधाईयाँ !
रफ़्ता रफ़्ता ज़िंदगी भी बेवफ़ा हो जाएगी
रफ़्ता रफ़्ता इस जहां में सब फ़ना हो जाएगा
कौन 'सूरज' है पराया कौन अपना है यहाँ
ओढ़ लो थोड़ा सा ग़म तो सब पता हो जाएगा
बेहतरीन गज़ल
राजेश कुमारी जी और गिरिराज भण्डारी जी ग़ज़ल पर अपने विचार रखने के लिए आप दोनों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ।
आदरनीय सूर्या बाली भाई , इस बेहतरीन गज़ल से मंच को नवाजने के लिये आपका हार्दिक आभार ।
कौन किसका साथ देता है यहाँ पे उम्र भर
शाम तक तेरा ये साया भी जुदा हो जाएगा -- हासिले गज़ल शे र के लिये बधाई आपको ।
मक्ता भी बहुत खूब है -- वाह !!
कौन 'सूरज' है पराया कौन अपना है यहाँ
ओढ़ लो थोड़ा सा ग़म तो सब पता हो जाएगा
धड़कनें पूछेंगी ख़ुद से बेक़रारी का सबब
दो दिलों के दरमियाँ जब फ़ासला हो जाएगा---वाह्ह्ह्हह
कौन किसका साथ देता है यहाँ पे उम्र भर
शाम तक तेरा ये साया भी जुदा हो जाएगा---बहुत उम्दा
इस शानदार ग़ज़ल के लिए दिल से बधाई लीजिये आ० डॉ ० सूर्या बाली जी
कौन किसका साथ देता है यहाँ पे उम्र भर
शाम तक तेरा ये साया भी जुदा हो जाएगा
कौन 'सूरज' है पराया कौन अपना है यहाँ
ओढ़ लो थोड़ा सा ग़म तो सब पता हो जाएगा
उपर्युक्त शेर और मक्ते के बरअक्स आपकी ग़ज़ल पर दिल से दाद, आदरणीय सूर्य बाली जी..
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