सामने है खड़ी दीवार ख़ुदा ख़ैर करे।
रास्ता हो गया दुश्वार ख़ुदा ख़ैर करे॥
अब तो हर चीज़ जुदाई में बुरी लगने लगी,
फूल भी लगने लगे ख़ार ख़ुदा ख़ैर करे॥
जाने किस बात से हमसे वो रूठे रूठे हैं,
बदले बदले से हैं सरकार ख़ुदा ख़ैर करे॥
हर कोई चाहता महबूब बनाना उनको,
खिंच गईं हैं कई तलवार ख़ुदा ख़ैर करे॥
रात दिन चैन से सोने नहीं देती मुझको,
उनके पाज़ेब की झंकार ख़ुदा ख़ैर करे॥
बात दिल की मेरे होठों पे आ न जाये कहीं,
हो ना जाये कहीं इज़हार ख़ुदा ख़ैर करे॥
बन सँवर के सरे बाज़ार वो निकले “सूरज”,
हो गए हम भी गिरफ़्तार ख़ुदा ख़ैर करे॥
डॉ. सूर्या बाली “सूरज”
Comment
आदरणीय बाली जी
सादर,
बात दिल की मेरे होठों पे आ न जाये कहीं,
हो ना जाये कहीं इज़हार ख़ुदा ख़ैर करे॥
वाह क्या बात है. बार बार पढने को दिल चाहता है. बहुत सुन्दर. बधाई.
sunder ghazal suryaa ji
रात दिन चैन से सोने नहीं देती मुझको,
उनके पाज़ेब की झंकार ख़ुदा ख़ैर करे॥
kya khne baali ji ,ati sundr ,badhaai
बात दिल की मेरे होठों पे आ न जाये कहीं,
हो ना जाये कहीं इज़हार ख़ुदा ख़ैर करे॥
waah....
आदरणीय सूरज जी, सादर
बन सँवर के सरे बाज़ार वो निकले “सूरज”,
हो गए हम भी गिरफ़्तार ख़ुदा ख़ैर करे॥
इस कदर जानां घायल हूँ तेरे प्यार में
कब हुआ उजाला मुझे याद नहीं
गर याद आता भी है कुछ तो भुला देता हूँ
जिंदगी जो लिख दी है तेरे नाम में
खुदा भी खुद आ के गिरफ्तार हो गया
तेरा जलवा है जश्ने बहार में
सूरज तो अपनी आग में यूं ही जल रहा था
प्रदीप भी शामिल हो गया कत्ले आम में.
आपको बधाई. मैं भी दाद चाहूँगा, जनाब.
सूर्या बाली साहब, ग़ज़ल के कई अश’आर जाने-पहचाने बिम्बों को साथ लिये चलते हैं. इशारे भी वही-वही हैं. फिर भी सुनना अच्छा लगा. दाद कुबूल करें.
वाह वाह,
बेहतरीन गजल। सुन्दर शे'र
वाह वाह बाली जी बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है मजा आ गया पढ़ के
wah wah soorya ji kya baat hai maza aa gaya bahut achchi ghazal kahi hai mubarakbad kubool karein
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