For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रात आती है तेरी यादें सुहानी लेकर

रात आती है तेरी यादें सुहानी लेकर।

फिर मोहब्बत की वही बातें पुरानी लेकर॥

 

ख़्याल जब तेरा सताता है मुझे रातों को,

सिसकियाँ लेता हूँ मैं आँखों में पानी लेकर॥

 

आज महफिल में दिवानों के यही चर्चा थी,

कौन आया है ये चिलमन में जवानी लेकर॥

 

आज लिखूंगा तुझे फिर से मोहब्बत में ख़त,

दिल में बहते हुए दर्दों की कहानी लेकर॥

 

लोग बह जाते हैं जज़्बात में आकार अक्सर,

वो जिधर जाते हैं जलवों की रवानी लेकर॥

 

हर तरफ उनके दिवाने है खड़े तोहफे लिए,

हम भी आए हैं मोहब्बत की निशानी लेकर॥

 

हाले दिल अपना सुनाने को तेरी महफिल में,

आज “सूरज” है चला ग़ज़लें जुबानी लेकर॥

                                  डॉ. सूर्या बाली “सूरज”

Views: 933

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 21, 2012 at 7:56pm

ला ल ला ला   ला ल ला ला    ला ल ला ला   ला ला

वाह वाह, बहुत खूब डाक्टर बाली साहिब, बहुत ही खुबसूरत ख्यालात की ग़ज़ल है , वजन कही कही मुझे ठीक नहीं लगा एक बार देख लें ....जैसे .....वो जिधर जाते हैं अंगूर का पानी लेकर॥

एक बात की तरफ और आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहूँगा ....

कृपया मतला का अवलोकन करें, मतले में आपने कहानी और सुहानी काफिया लिया है ...उसके हिसाब से बाकी के शेरों में प्रयुक्त काफिया त्रुटिपूर्ण है | मतले के किसी मिसरे में काफिया बदल सहज ही इसे दुरुस्त किया जा सकता है |

बहरहाल इस खुबसूरत ग़ज़ल पर दाद स्वीकार करें आदरणीय |


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 21, 2012 at 1:06pm

बेहद खूबसूरत अशआर डॉ बाली साहिब, बधाई स्वीकारें.

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 20, 2012 at 6:54pm

आदरणीय बाली जी,
                            सादर,
                             जब तेरी यादें सताती हैं मुझे रातों को,
                            सिसकियाँ लेता हूँ मैं आँखों में पानी लेकर॥
शब्दों से बहुत सुन्दर बयान.बधाई.
 

Comment by Rekha Joshi on May 20, 2012 at 10:42am

फिर से लिखता हूँ तुझे आज मोहब्बत में ख़त,
भूले बिसरे हुए लम्हों की निशानी लेकर॥

baali ji ati sundr bhaav ,badhai 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 19, 2012 at 10:20pm

आज महफिल में दिवानों के यही चर्चा थी,
कौन आया है ये चिलमन में जवानी लेकर॥

हर तरफ उनके दिवाने है खड़े तोहफे लिए,
हम भी आए हैं मोहब्बत की निशानी लेकर॥

हाँ सूरज भाई पुरानी में नशा और छलक पड़ता है ...आते रहिये महफ़िलें आबाद रहें  ...हर दिल में यूं ही आप के लिए प्यार रहे ..भ्रमर  ५ 

रिन्दों समझा दें जनाब 


Comment by D.K.Nagaich 'Roshan' on May 19, 2012 at 9:20pm

जब तेरी यादें सताती हैं मुझे रातों को,
सिसकियाँ लेता हूँ मैं आँखों में पानी लेकर॥

आज महफिल में दिवानों के यही चर्चा थी,
कौन आया है ये चिलमन में जवानी लेकर॥

हर तरफ उनके दिवाने है खड़े तोहफे लिए,
हम भी आए हैं मोहब्बत की निशानी लेकर॥

Waaaahh... Dr. Surya Bali Sooraj saheb... ek se ek umdaa ashaar ... ek behatreen ghazal  kahi hai aapne... bahut bahut dili daad aur mubaarakbaad...

Comment by MAHIMA SHREE on May 19, 2012 at 8:51pm

आदरणीय डॉ साहब ,

क्या बात है .. वाह वाह वाह ..

आप तो जिधर से गुजरते है . 

माहौल बदल देते है ...

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 19, 2012 at 8:31pm

हर तरफ उनके दिवाने है खड़े तोहफे लिए,
हम भी आए हैं मोहब्बत की निशानी लेकर॥

 कौन सा तोहफा कबूल होगा? या हुआ? यह भी तो बताना चाहिए!.......
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 19, 2012 at 6:21pm

 आदरणीय सूरज    जी सादर अभिवादन 

दिन कट जाए है रात न जाए 
तू तो न आये तेरी याद सताए 
सुहानी रात में है क्यूँ आँखों में पानी 
कह दो दिल की बात चली जाये न जवानी 
अगर यूँ ही करते रहोगे इंतजार 
ऐसा न हो बन जाये कई बच्चों की नानी 
दीवानों की महफ़िल में उसे शर्मसार न करो 
है प्यार वो तुम्हारा चुपके से इजहार करो 
यंकी मानो यादों का   समुन्दर बहुत गहरा है 
फूल है वो किसी चमन का गहरा पहरा है 
लिखो  नयी  गजल थाम लो हाथ उसका 
करो इसरार मोहब्बत का पढ़े जो अब वो सेहरा है 
बधाई. मैं भी दाद चाहूँगा. एक पोस्ट पर बाकी है 

बधाई, स्नेह  बनाये  रखिये . 
Comment by Bhawesh Rajpal on May 19, 2012 at 5:00pm

वाह  वाह  !  डॉ. सूर्य बाली  जी ,  इस खूबसूरत  ग़ज़ल  के लिए बधाई  !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service