For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संत लीला ( छ्न्द का प्रथम प्रयास )

संत लीला

******************

वेद पुराण वाचते करते गीता पाठ ।

बाबाजी के देखिये शाही ठाठ बाठ । 

शाही ठाठवाठ मे, कोई कमी न आये  ।

वैरागी बन के बाबा, दौलत खूब कमाये । 1।

 

चार बार चन्दन घिसे, छिडके गंगा नीर ।

देख के नारी मोहनी, बाबा भये अधीर ।

बाबा भये अधीर के, भूले दुनियादारी ।

मोहमाया के जाल मे, फँस गये बृहम्चारी ।2।

ठुमक ठुमक के नाचते, छेडे लम्बी तान ।

सत संगत मे बाटॅते, जो सँयम का ज्ञान ।

जो सँयम के ज्ञान को, गये खुद ही भूल ।

ज्ञानपीठ मे कर गये, बाबा छोटी भूल ।3।

 

दर्शन का चन्दा लगे भेंट करे धनवान ।

झोली भर भर लाते, काला विदेशी दान ।

काला विदेशी दान को, बाबा करे सफ़ॆद

बाबाजी की दाढी मे, छुपे हजारो भेद ।4।  

 

खोल दुकान धरम की, बाबा करे व्यापार ।

नेता गुंडा चोर सब, होत इनके साझेदार ।

इनके साझेदार की, कथा अनंत अविराम ।

एक गये दुजे मिले, ऐसे ठोंगी साधुराम ।5।  

 

देख चरित्र संत का, लोग भये हैरान ।

अब साधु के भेष मे, वास करे शैतान।

वास करे शैतान की, आंखे अपनी खोल।

ऐसे संत फकीर का, कर दो डब्बा गोल |6|  

 

एक हाथ मुन्नी धरे, एक मे शीला होये ।

दिन मे माला राम की, रात मे लीला होये ।  

रात मे लीला होये की, सुर सुरा और काम ।

इति श्री लीला संत की सब को मेरा प्रणाम |7|

मौलिक व अप्रकाशित 

 04/09/13

  

 

Views: 928

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत नेमा on September 6, 2013 at 3:13pm

आदरणीया प्राची दीदी जी सादर प्रणाम , सर्व प्रथम आप को आभार धन्यवाद आप ने रचना को समय दिया , अब भबिष्य मे इसका ध्यान रखुंगा  और नियम पर लिखने का प्रयास करुंगा ......पुन: धन्यवाद आभार  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 6, 2013 at 3:00pm

आ० बसंत नेमा जी 

आपने ये किस छंद पर प्रयास किया है?

कुंडलिया के विधान को पढ़ कर प्रस्तुति को उसके अनुरूप लिखने का प्रयत्न करें..उसके काफी करीब है प्रस्तुति 

शुभेच्छाएँ 

Comment by बसंत नेमा on September 6, 2013 at 10:02am

आ0 रविकर जी .सादर नमन ...बहुत सुन्दर सम्झाया आप ने .. हमे तो पता भी नही था रचना ऐसे भी हो सकती है ..... अब इस पर अध्यन करके  अगली बार इस बिधा पे लिखने कि कोशिस करुंगा ....  धन्यवाद ..

Comment by रविकर on September 5, 2013 at 8:23pm

दोहा +रोला = कुण्डलिया
नियम OBO पर उपलब्ध हैं कृपया देख लें- सादर

दोहा +
दर्शन का चन्दा लगे, भेंट करे धनवान ।
झोली भर भर ला रहे, *असित विदेशी दान ।
+ रोला = दोहे का उल्टा


असित विदेशी दान, करे बाबा वह उजला |
तिनका दाढ़ी बाल, छुपा तिनका दे खुजला ||
कह नेमा कविराय, बड़ा दाढ़ी में कर्षन |
पढ़े लिखे हैं मूर्ख, करें मढ़िया में दर्शन ||

* काले रंग का, टेढ़ा ,,दुष्ट, कुटिल

Comment by बसंत नेमा on September 5, 2013 at 12:37pm

आ0 रविकर जी सादर प्राणाम .... तहे दिल से आप का शुक्रिया  आप ने रचना को समय दिया .....

चतुष्क को कुण्डलियाँ का रूप देने की कोशिश भी करें-  ये  शब्द मेरे लिये नया है .कृपा सम्झाने का कष्ट करे  .......

Comment by रविकर on September 5, 2013 at 11:51am

अच्छा प्रयास है आदरणीय
शुभकामनायें-


चतुष्क को कुण्डलियाँ का रूप देने की कोशिश भी करें-

आनंद बढ़ जायेगा-

Comment by बसंत नेमा on September 5, 2013 at 10:28am

आ0 बृजेश जी आप का बहुमुल्य समय रचना को मिला तहे दिल से आभार शुक्रिया ऐसे ही अपके  अषीश की कामना करता  रहुंगा 

Comment by बसंत नेमा on September 5, 2013 at 10:27am

आ0 जितेन्द्र जी आप का बहुमुल्य समय रचना को मिला तहे दिल से आभार शुक्रिया ऐसे ही अपने भाई पे कृपा बनाये रखे 

Comment by बसंत नेमा on September 5, 2013 at 10:26am

आदरणीया मीना जी .. बहुत बहुत धन्यवाद .तहे दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत नेमा on September 5, 2013 at 10:25am

आदरणीया अन्ंपूर्णा जी .. बहुत बहुत धन्यवाद . आपके बहुमुल्य समय के लिये तहे दिल से शुक्रिया .. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
3 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
14 hours ago
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
19 hours ago
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
Wednesday
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service