घर ही उजाड़ दिया
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मतलब की दुनिया है
मतलब के रिश्ते हैं
कौन कहे मेले में
आज कहीं अपने हैं
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छोटे से पौधे को
बड़ा किया प्यार दिया
सींचा सम्हाल दिया
फूल दिया फल दिया
तूफ़ान आया जो
घर ही उजाड़ दिया
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बिच्छू के बच्चों ने
बिच्छू को खा लिया
इधर – उधर, डंक लिये
'खा' लो सिखा दिया
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एक 'बाज' उड़ता था
'सौ' चिल्लाती थी
अधम को थका -डरा
बच कभी जातीं थीं
'सौ' बाज आज 'राज'
लाख उड़े चिड़िया भी
फंदा है फांस आज
'प्रेम' फंसी , जाती अकेली हैं
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नारी ने जना जिसे
उसने ही लूट लिया
प्रेम-पूत बंधन को
जड़ से उखाड़ दिया
घोंप छुरा पीछे से
कायर ने नाश किया
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"मौलिक व अप्रकाशित"
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर'५
12.35 पूर्वाह्न -01.01 पूर्वाह्न
कुल्लू हिमाचल
२ ५ .० ८ - १ ३
Comment
प्रिय लड़ी वाला जी ..सच में छिन्न भिन्न होते हुए कमजोर पड़ते रिश्ते का बन रहे हैं ...रचना आप को अच्छी लगी लिखना सार्थक रहा
आभार
भ्रमर ५
प्रिय भंडारी जी रचना के सभी बंद आप को अच्छे लगे और आप ने सराहा मन अभिभूत हुआ
आभार
भ्रमर ५
प्रिय नीरज जी ..इस समय का दर्द छिपाए ये रचना आप के मन को छू सकी सुन ख़ुशी हुयी
आभार
भ्रमर ५
प्रिय 'गीत' जी ..रचना आप को आज के परिप्रेक्ष्य में सटीक लगी सुन ख़ुशी हुयी ..विकृत हो रहा है समाज सच ...
आभार
भ्रमर ५
घर ही उजाड़ दिया -
मतलब की दुनिया है
मतलब के रिश्ते हैं
कौन कहे मेले में
आज कहीं अपने हैं - वाह ! बहुत सुन्दर और यथार्थ क्षनिकाए भाई श्री सुरेन्द्र "भ्रमर" जी |हार्दिक बधाई
आदरणीय सुरेन्द्र भाई जी , बहुत सुन्दर लगी पूरी रचना !! बधाई !!
नारी ने जना जिसे
उसने ही लूट लिया
प्रेम-पूत बंधन को
जड़ से उखाड़ दिया
घोंप छुरा पीछे से
कायर ने नाश किया --------- बहुत खूब !!
बहुत ही सुन्दर! आदरणीय भ्रमर जी आपको हार्दिक बधाई!
मतलब की दुनिया है
मतलब के रिश्ते हैं
कौन कहे मेले में
आज कहीं अपने हैं.........बहुत सटीक बात कही
नारी ने जना जिसे
उसने ही लूट लिया
प्रेम-पूत बंधन को
जड़ से उखाड़ दिया
घोंप छुरा पीछे से
कायर ने नाश किया........ बिलकुल सच कहा,
बहुत बहुत बधाई आदरणीय सुरेन्द्र जी
आदरणीया अन्नपूर्णा जी ..रचना के बिभिन्न विषय और भाव आप के मन को प्रभावित कर सके आप से प्रोत्साहन पा हर्ष हुआ
आभार
भ्रमर ५
आदरणीया मीना जी ..अभिनन्दन ..रचना के भाव आप के मन को प्रभावित कर सके आप से प्रोत्साहन मिला ख़ुशी हई
आभार
भ्रमर ५
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