For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एकाकी, एकाकी
जीवन है एकाकी...
मैं भी हूँ एकाकी,
तू भी है एकाकी,
जीवन पथ पर चलना है
हम सबको एकाकी I
 

ना कोई तेरा है,
ना है किसी का तू,
मोह-माया के फेरे में
जीवत्व है एकाकी I

 

आया तू अकेला था,
जाएगा भी अकेला ही,
आने-जाने के इस क्रम में
होना है एकाकी I
 

संसार के मेले में,
भ्रमों का रेला है,
बहने की है नियती
जड़ को तो बहना है,
स्मरण मगर रख ले
चेतन ये एकाकी I

 

ये तन है क्षण भन्गुर,
पल में मिट जाएगा,
माटी का है ढेला ये,
माटी में ही मिल जाएगा,
तन के इस सुख-दुख में
खुद को रख एकाकी I

 

लाया ना संग कुछ भी,
जाना भी है खाली हाथ,
कर्मों का इक लेखा
होगा बस तेरे साथ,
द्वार पर परमात्मा के
हर आत्मा है एकाकी I

 

एकाकी, एकाकी
जीवन है एकाकी...

Views: 785

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by sanjiv verma 'salil' on December 27, 2010 at 8:27am
सनातन सत्य को उद्घाटित करती रचना. शब्द चयन से कुछ अंतर्विरोध और असंगति प्रतीत होती है.

लाया ना संग कुछ भी,
जाना भी है खाली हाथ,
कर्मों का इक चोला
होगा बस तेरे साथ,
द्वार पर परमात्मा के
हर आत्मा है एकाकी I

खाली हाथ जाना है तो कर्मों का चोला कैसे साथ होगा?
(चोला = आवरण, ढीला-ढाला कुरता, देह , शरीर.
चोला बदलना = एक शरीर त्यागकर दूसरा धारण करना.
देखें वृहत हिन्दी कोष, पृष्ठ ३८६)
कर्मों का न तो कुरता जा सकता है, न कर्मों की देह जा सकती है.
मेरी समझ में 'चोला' के स्थान पर 'लेखा' अधिक उपयुक्त होता.

सत्य यह भी कि आना-जाना एकाकी होने पर भी इसके बीच का जीवन सामाजिक ही बिताना है. आने से जाने के बीच एकाकी रहे तो जीवन ही न होगा.

एकाकी आना है,
एकाकी जाना है.
एकाकी जीवन को
हमें ना बनाना है.
संग-साथ सुख-दुःख सह
सलिल मुस्कुराएंगे.
स्वर्ग भू पे लायेंगे...
Comment by DEEP ZIRVI on December 27, 2010 at 6:59am

मोह-माया के फेरे में
जीवत्व है एकाकी I

utttm


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 26, 2010 at 4:49pm

ये तन है क्षण भन्गुर,
पल में मिट जाएगा,
माटी का है ढेला ये,
माटी में ही मिल जाएगा,

यथार्थ यही है जैन साहब , एक दिन सबको समाप्त हो जाना है .... कृति ही दुनिया मे अमर रहेगी , बाकी सब बकवास ,

सुंदर रचना,

एकाकी, एकाकी
जीवन है एकाकी... बधाई बधाई इस रचना पर बधाई ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
5 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
23 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service