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२ १ २ २     २ १  २ १    १ २ १ २

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छोडो अपनी ढाई चाल बहुत हुआ

खून में आया उबाल बहुत हुआ

 

आम जनता की आवाज दबे नहीं

देश में लाये भूचाल बहुत हुआ  

 

खींच लेगा आज वक़्त ये कुर्सियां

कर चुके जितना धमाल बहुत हुआ

 

अब सियासी हंडिया ये उतार दो    

पक चुकी जितनी  ये दाल बहुत हुआ

 

दोगुला अब तो   चलन ये   चले नहीं

बेहयाई का कमाल बहुत हुआ 

 

क़र्ज़ में अब  देश खूब   डुबा चुके

आज रूपये का ये हाल बहुत हुआ

देश की जनता है  जाग उठी  अभी 

नोंच लेगी  बाल खाल बहुत हुआ

********************************************

मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 8, 2013 at 10:50pm

सादर आभार जवाहर लाल जी वक़्त तो बदलता ही है 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 8, 2013 at 4:50pm

नोच लेगी बाल खाल बहुत हुआ!... चेतावनी अगर वे समझ पायें!


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Comment by rajesh kumari on September 7, 2013 at 11:58pm

आदरणीय सुरेन्द्र कुमार शुक्ल जी ग़ज़ल के मर्म का अनुमोदन कर लेखन को कृतार्थ किया ,अब वक़्त है जागने का .आम जनता ठगी जा रही है बस मस्तिष्क में यही भाव हलचल मचा  रहे थे सो लिख दिया आपको पसंद आये तहे दिल से आभारी हूँ । 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 7, 2013 at 11:53pm

क़र्ज़ में अब  देश खूब   डुबा चुके

आज रूपये का ये हाल बहुत हुआ

देश की जनता है  जाग उठी  अभी 

नोंच लेगी  बाल खाल बहुत हुआ

आदरणीया राजेश कुमारी जी ..सामयिक विषयाधारित ...और चेतावनी देती अच्छी रचना ..काश आँखें अब भी खुलें

आभार
भ्रमर ५


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 7, 2013 at 11:39pm

ब्रजेश नीरज जी  ग़ज़ल आपको अच्छी लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ तहे दिल से शुक्रिया|

Comment by बृजेश नीरज on September 7, 2013 at 11:35pm

वाह! बहुत सुन्दर गज़ल! आपको हार्दिक बधाई!


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Comment by rajesh kumari on September 7, 2013 at 11:23pm

आदरणीया मंजरी पाण्डेय  जी ग़ज़ल आपको अच्छी लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभार


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Comment by rajesh kumari on September 7, 2013 at 11:22pm

जितेन्द्र गीत जी ग़ज़ल आपको प्रभावित कर सकी मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभार |

Comment by mrs manjari pandey on September 7, 2013 at 10:17pm

   आदरणीया राजेश् कुमारी जी  सुन्देर शेर  ‍ बधाई !

    

क़र्ज़ में अब  देश खूब   डुबा चुके

आज रूपये का ये हाल बहुत हुआ

देश की जनता है  जाग उठी  अभी 

नोंच लेगी  बाल खाल बहुत हुआ

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 7, 2013 at 10:09pm

खींच लेगा आज वक़्त ये कुर्सियां

कर चुके जितना धमाल बहुत हुआ.....सही चेतावनी देता हुआ शेर

अब सियासी हंडिया ये उतार दो    

पक चुकी जितनी  ये दाल बहुत हुआ.......यह शेर बहुत पसंद आया

सटीक व् करारी चोट देती गजल , बहुत बहुत बधाई आदरणीया राजेश जी

 

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