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फूल जैसा ये है जीवन

मुंह अँधेरे सुबह में तुम मुस्कुरा रहे थे,

धूप जैसे ही खिली तुम खिलखिला रहे थे.

दोपहर के ज्वाल में तुम बल खा रहे थे.

शाम को फिर क्या हुआ जो मुंह छिपा रहे थे.

फूल जैसा ये है जीवन बाल यौवन अरु जरा.

फूल की खुशबू कभी तो कील से यह पथ भरा.

पाल मत प्यारे अहम तू एक दिन तू जायेगा.

सारी दौलत संगी साथी काम न कोई आयेगा.

गर किया सद्कर्म वह तू साथ लेकर जायेगा 

तेरे जाने पर भी निशदिन तेरे ही गुण गायेगा 

(मौलिक व अप्रकाशित)

जवाहर लाल सिंह 

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Comment

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Comment by Parveen Malik on September 10, 2013 at 7:09pm
जब जीवन फूल सा है तो हमें हर तरफ खुशबू और खुशी देनी चाहिए.... बधाई !
Comment by vijayashree on September 10, 2013 at 1:08pm

पाल मत प्यारे अहम तू एक दिन तू जायेगा.

सारी दौलत संगी साथी काम न कोई आयेगा.

गर किया सद्कर्म वह तू साथ लेकर जायेगा 

तेरे जाने पर भी निशदिन तेरे ही गुण गायेगा 

बहुत खूब जवाहर लाल सिंह जी  बधाई  स्वीकारें 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 9, 2013 at 10:43am
वाह !! जीवन की सच्चाई ब्यान करती अच्छी रच्ना के लिये बधाई , आदरणीय जवाहर लाल जी !!
Comment by aman kumar on September 9, 2013 at 9:24am

फूल से जीवन तक का पथ यात्रा 

आपकी कलम का जादू 

सच मे सीख दे गयी ....

बहुत अच्छा जवाहर भाई !

कृपया ध्यान दे...

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