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!!! डर गई है यह धरा !!!
बह्र -2122 212


मिल गया रब देख ले।
क्या मिला सब देख ले।।


जिंदगी है मौत सी,
कल कहां कब देख ले।


राम जाने क्या हुआ,
आसमां अब देख ले।


रात काली हो गयी,
बर्फ का ढब देख ले।


कल जहां पर जश्न था,
मौत-घर अब देख ले।


फिर अहम आलाप है,
भोर की शब देख ले।


हम किसे आवाज दे,
साथ में रब देख ले।


रात ढलती जा रही,
निश अजायब देख ले।


आज आभा कोसती,
लाल बेढब देख ले।


चींख कर रोती रही,
हाय! करतब देख ले।


सो गया है आसमां,
रंग-मजहब देख ले।


डर गई है यह धरा,
रोज आफत देख ले।


चल रही है आंधियां,
रूख हवा अब देख ले।


के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by गिरिराज भंडारी on September 14, 2013 at 2:04pm

आदरणीय केवल भाई , इतनी छोटी बहर मे लाजवाब गज़ल कही भाई ,वाह !! मज़ा आ गया !! दिली बधाई !!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 14, 2013 at 1:35pm

एक चेतावनी सी देती शानदार ग़ज़ल ..आपको हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

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