बहुत चर्चा हमारा हो रहा है
इशारों में इशारा हो रहा है /१
लकीरें हाथ की बेकार हैं सब
समझिये बस गुजारा हो रहा है /२
न जाने रूह पर गुजरी है क्या क्या
बदन का खून खारा हो रहा है /३
गगन के तारे क्यूँ जलने लगे हैं
कोई जुगनू सितारा हो रहा है /४
तुम अपनी धड़कनों को साधे रखना
तुम्हारा दिल हमारा हो रहा है/५
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बह्र : १२२२ १२२२ १२२
*सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित
Comment
बहुत बढ़िया सारथी जी बेहतरीन ग़ज़ल बधाई कुबूल करें
आदरणीय सलीम भाई आप सही कह रहे है , चर्चा दोनो तरह से इस्तेमाल होने वाला शब्द है , हिन्दी मे स्त्री लिंग है उर्दू मे पुल्लिंग जैसे प्रयोग मे लाया जा रहा है , अतः आदरणीय सारथी जी मै अपने कमेंट का उतना हिस्सा वापस लेता हूँ !! और मतले के लिये भी बधाई देता हूँ !!!
लकीरें हाथ की लेकर गये हो
गरीबी में गुजारा हो रहा है |
.
गगन के तारे क्यूँ जलने लगे हैं
कोई जुगनू सितारा हो रहा है |
. ...अरे वाह कमाल की ग़ज़ल हुई है आदरणीय सारथी जी हर शेर शानदार इन दो के लिए ख़ास दाद कबूलें !!
वाह सारथी भाई जी ... सुन्दर गजल .. बधाई शुभकामनाये
आदरणीय सारथी जी , शानदार ग़ज़ल के लिये बधाई !!
गगन के तारे क्यूँ जलने लगे हैं
कोई जुगनू सितारा हो रहा है | लाजवाब !!! लेकिन आदरणीय चर्चा शब्द हिन्दी शब्द कोश मे स्त्री लिन्ग है , बस यही शंका है !!
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