2122 2122 2122 212
अब तो बाहर आ ही जायें ख़्वाब से बेदार में
क़त्ल ,गारत, ख़ूँ भरा है आज के अख़बार में
कोई दागी है, तो कोई है ज़मानत पर रिहा
देख लें अब ये नगीने हैं सभी सरकार में
कोई पूछे , सच बताये, धुन्ध क्यों फैला है ये
उनको छोड़ें जो गवैये हैं किसी दरबार में
पेट की खातिर किसी का तन बिका करता है अब
और कोई घर की बेटी नाचती है बार में
थक के पीछे रह गया हूँ , हाँफता मैं क्या करूँ
ज़िन्दगी है बेरहम बस दौड़ती रफ्तार में
आप कीलें ध्यान से बाहर ज़रा सा ठोकना
प्लासटर तड़का दिखा है भीतरी दीवार में
मन की कड़वाहट मेरे शब्दों को सारे खा रही
बात सच्ची कह रहा हूँ पर कमी है धार में
.
संषोधित पोस्ट ( गलती सुधार के बाद )
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीया डा. प्राची जी , रचना को आपकी सहमति , सराहना मिलना मेरे लिये अत्यंत हर्ष की बात है !! आपका बहुत बहुत आभार !!
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी
बहुत शानदार ग़ज़ल कही है.. सभी अशआर बहुत धारदार हैं.. सीधे मन को छूते हैं
ये तीन शेर तो ख़ास पसंद आये
पेट की खातिर किसी का तन बिका करता है अब
और कोई घर की बेटी नाचती है बार में
थक के पीछे रह गया हूँ , हाँफता मैं क्या करूँ
ज़िन्दगी है बेरहम बस दौड़ती रफ्तार में
आप कीलें ध्यान से बाहर ज़रा सा ठोकना
प्लासटर तड़का दिखा है भीतरी दीवार में
बहुत बहुत बधाई
बात सच्ची कह रहा हूँ पर कमी है धार में
अरे नहीं नहीं ऐसा तो बिलकुल भी नहीं है ... मगर ये शेर भी अपने आप में अलग ही लुत्फ़ दे गया ...
यह आपकी बेहतरीन ग़ज़लों में से एक है ... पूरी ग़ज़ल के लिए ढेरो दाद
ग़ज़ल में "थक के" का तलफ्फुज़ "थक्के" की तरह आ रहा है,
आदरनीय शिज्जू जी से सहमत हूँ,,, यह ऐब ए तनाफुर है
वैसे मैने ये भी कहीं पढ़ा है कि कई उस्ताद शुअरा इसे कोई बड़ा ऐब नही मानतेl
यहाँ भी आदरनीय शिज्जू जी से सहमत हूँ, मैं खुद इसके कारण अपना शेर ख़ारिज नहीं करता, मगर एब् तो है ही ... इससे बचने के कुछ सूत्र भी हमको ओ बी ओ पर चर्चा के दौरान मिले हैं ... उन पर गौर करना चाहिए
आपने "पलसतर" लिखा है मैं शंकित हूँ इसका वज्न 122 होगा या 212 जैसा कि आपने किया है, यह अंग्रेज़ी शब्द "प्लास्टर" से लिया गया है।
यहाँ भी आदरनीय शिज्जू जी से सहमत हूँ बोलचाल के अनुसार प लस तर १२२ होना चाहिए या प्ला स टर २१२ होना चाहिए
सादर
आदरणीय शिज्जू भाई , पलस्तर 122 ही होगा , आदरणीय गणेश भाई जी ने भी कह दिया है अतः अब कोई शंका नही है !! आपका बहुत बहुत आभार ! ऐसे ही स्नेह बनाये रखें और होने वाली गलतियो पर ऐसे ही ध्यान दिलाते रहें !! मै तदनुसार अपने फाइल मे सुधार कर लूंगा !!
आदरणीय गणेश भाई ,आपका बहुत आभार , गलती के ओर ध्यान देने और बताने का !! पलसतर की शंका बची थी सो आपकी सहायता से वो भी दूर हुई !! आपका पुनः आभार !!
पलस्तर / पलसतर = 122 , प्लस्तर / प्लसतर =22
ऐब-ए-तनाफुर का दोष है, सिज्जू भाई ने सही कहा है ।
आदरणीय गिरिराज जी आप सही कह रहे हैं पलसतर शब्द को बोलचाल की भाषा में अपना लिया गया है मगर इसकी तक्तीअ आप करेंगे तो कुछ ऐसा आयेगा प1 लस2 तर2 इस तरह से ये मिसरा बेबह्र हुआ जा रहा है
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