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माँ तुम्हारा कर्ज चुकाना है

छन्द मुक्त रचना

नौ महीने
अपनी कोख में सम्भाला
पीड़ा सहकर
लायी मुझे दुनिया में
जानती हूँ
बहुत दुःख सह, ताने सुन
जन्म दिया मुझे

मैंने सुना था, माँ!
जब बाबा ने तुम्हें धमकाया था
कोख में ही मारने का
दबाव बनाया था
दादी ने क्या-क्या नही सुनाया!
पर तुम!
न डरी, न झुकी
मुझे जन्म दिया

हमारे होते भी
तुम निपूतनी कहलाई
पर तुम्हारे
प्यार में कमी न आई

तुम्हारे आँसुओं का
मोल चुकाना है
बेटी के जन्म से
झुका तुम्हारा सिर
गर्व से उठाना है
माँ! तुम्हारा कर्ज चुकाना है ||

मीना पाठक

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 672

Comment

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Comment by Meena Pathak on September 22, 2013 at 7:43am

आभार गीत जी 

Comment by Meena Pathak on September 22, 2013 at 7:43am

आभार आ० गिरिराज जी 

Comment by Meena Pathak on September 22, 2013 at 7:42am

आभार आ० भ्रमर जी  

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 21, 2013 at 11:22pm

बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना, बहुत बहुत बधाई आदरणीया मीना जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 21, 2013 at 8:15pm

आदरणीया मीना जी , बहुत सही और समाज की बहुत आम , और  ज्वलंत समस्या को उठाया आपने !! सुन्दर रचना के लिये बधाई !!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 21, 2013 at 8:08pm

तुम्हारे आँसुओं का
मोल चुकाना है
बेटी के जन्म से
झुका तुम्हारा सिर
गर्व से उठाना है

सुन्दर रचना मार्मिक ...बेटी का माँ के प्रति स्नेह और गर्व यों ही बना रहे लोग समझें आंख्ने खोलें तो आनंद और आये ....बधाई

आदरणीया मीना जी जय श्री राधे
भ्रमर ५

Comment by Meena Pathak on September 21, 2013 at 5:39pm

आ० आशुतोष जी हार्दिक आभार 

Comment by Meena Pathak on September 21, 2013 at 5:38pm

आ० अभिनव जी बहुत-बहुत  आभार 

Comment by Meena Pathak on September 21, 2013 at 5:36pm

सही कहा आप ने आ० अन्नपूर्णा जी, रचना सराहने के लिए हार्दिक आभार

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 21, 2013 at 4:51pm

आदरणीया मीना जी बेहद सुंदर भावों से ओतप्रोत भावुक करने वाली शसक्त रचा के लिए हार्दिक बधाई 

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