ये भी एक सच है
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जितना फैलायेंगे,
अपने अपने अहम को
ये भी और वो भी,
सब मेरा, इस वहम को
उतना ही उलझेंगे
औरों के अहम जालों से
अपने भीतरी कशमकश से
और बाहरी सवालों से
कुछ तो क़ीमत है
मैने देखा है, बिकते हुये
लटकते हुये मुर्दा बकरे
बकरों के सिर
और देखा है
इंसानों की रगों में
जमता हुआ रुधिर
और सिर्फ जलते, खाक होते
इंसानी सिर !!!
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीय गिरिराज जी सादर प्रणाम
बहुत ही सुन्दर रचना है आपकी
सुन्दर भावों को कम शब्दों में पिरोया है आपने
इस रचना हेतु आपको बहुत बहुत बधाई
क्या लिखूं ? इस उम्दा रचना पर आपके लिए ! सच में मन के भावो को शब्दों के मोतियों में पिरो कर जिस तरह बिखेरा है ! वो अतुलनीय है ! हार्दिक बधाई स्वीकारे !
आदरणीय अरुण भाई , रचना की सरहना के लिये और उत्साह वर्धन के लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद , आपका आभार !!
आदरणीय बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति मैं तो इससे तुकांत और अतुकांत कविता का मिश्रण ही कहूँगा, बेहद सुन्दर भाव भरी रचना है आदरणीय बधाई स्वीकारें. अंतिम पद तो कमाल का है दिल खुश कर दिया आपने.
आदरणीय रविकर भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका बहुत आभार !!
आदरणीय सौरभ भाई , मै शिल्प के विषय कुछ नही जानता , दोहा और गज़ल को ही थोडा बहुत जान पाया हूँ , इसलिये अतुकांत लिख दिया , मन मे विचार आते है उसे बस लिख देता हूँ , मै नही जानता किस शिल्प मे है !! कमेंट मे आपके लिखे हर शब्द मेरे लिये अमूल्य हैं !! सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका बहुत बहुत आभार !! ऐसे ही स्नेह बनाये रखें !!
बढ़िया तुक-
प्रवाहमयी
सुन्दर भाव -
शुभकामनायें आदरणीय-
आदरणीय गिरिराजजी, आपकी यह कविता जैसे दो शिल्पों का निर्वहन करती चलती है. आपने अतुकान्त शैली की रचना होना स्वीकारा है, जबकि पहले दो बन्द सामान्य कविता के नियम को संतुष्ट करते हुए हैं. और उनका भाव विन्यास भी सहज संप्रेष्य है.
रचना अंतिम बन्द में एकदम से उठान लेती है, बल्कि मैं तो कहूँगा कि अपने भाव ही बदल लेती है. और सोच का एक अलग ही आयाम प्रस्तुत करती है. सही मायनों में यही बन्द कविता है.
इस बंद के सफलतापूर्वक निर्वहन के लिए हार्दिक धन्यवाद.
आदरणीय विजय भाई , आपकी सराहना अमूल्य है , उत्साह वर्धन के लिये बहुत बहुत आभार !!
आदरणीय गिरिराज जी:
//उताना ही उलझेंगे
औरों के अहम जालों से
अपने भीतरी कशमकश से
और बाहरी सवालों से //
सच्चाई को दर्शाती रचना के लिए हार्दिक बधाई।
सादर,
विजय निकोर
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