थाल किरणों का सजाकर
भोर देखो आ गयी
रात भी थक-हारकर
फिर जा क्षितिज पर सो गयी
चाँद का झूमर सजा
रात की अंगनाई में
और तारे झूमते थे
नभ की अमराई में
चाँदनी के नृत्य से
मदहोशियाँ सी छा गयी
तब हवा की थपकियों से
नींद सबको आ गयी
सूर्य के फिर आगमन की
जब मिली आहट ज़रा
जगमगाया आकाश सारा
खिल उठी ये धरा
छू लिया जो सूर्य ने
कुछ यूँ दिशा शरमा गयी
सुर्ख उसके गाल देखे,
हर कली मुस्का गयी
ज़िन्दगी भर स्याह्पन
हम साथ में ढोया किये
लालचों के भँवर में
हम भाव हर खोया किये
खिल उठी संवेदनाएं
रौशनी यूँ छा गयी
इक नयी फिर आस लेकर
भोर, लो, यह आ गयी
- बृजेश नीरज
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
सूर्य के फिर आगमन की
जब मिली आहट ज़रा
जगमगाया आकाश सारा
खिल उठी ये धरा
छू लिया जो सूर्य ने
कुछ यूँ दिशा शरमा गयी
सुर्ख उसके गाल देखे,
हर कली मुस्का गयी
क्या खूबसूरत भोर का द्रश्य साकार किया है शब्दों में अति सुन्दर वाह बधाई ब्रजेश जी
आदरणीय बृजेश जी
सुन्दर गीत ..
ज़िन्दगी भर स्याह्पन
हम साथ में ढोया किये
लालचों के भँवर में
हम भाव हर खोया किये
खिल उठी संवेदनाएं
रौशनी यूँ छा गयी
इक नयी फिर आस लेकर
भोर, लो, यह आ गयी
हार्दिक बधाई
आदरणीया महिमा जी आपका हार्दिक आभार! आपको रचना पसंद आई, मेरा प्रयास सार्थक हुआ!
खिल उठी संवेदनाएं
रौशनी यूँ छा गयी
इक नयी फिर आस लेकर
भोर, लो, यह आ गयी.... वाह वाह बहुत ही सुंदर मनभावन गीत ...एक साँस में पढ़ गयी ... बहुत -२ बधाई आदरणीय ब्रिजेश जी
आदरणीय राम भाई, आपका हार्दिक आभार!
चाँद का झूमर सजा
रात की अंगनाई में
और तारे झूमते थे
नभ की अमराई में
चाँदनी के नृत्य से
मदहोशियाँ सी छा गयी
तब हवा की थपकियों से
नींद सबको आ गयी///
वाह आदरणीय भाई ब्रिजेश जी , कितना मधुर गीत। मुझे तो ऐसा लगा जैसे कोई लोरी सुन रहा हूँ //बहुत बहुत बधाई आपको //सादर
आदरणीय अखिलेश जी, आपका हार्दिक आभार!
दिन रात का सुंदर लय पूर्ण चित्रण, बधाई बृजेश नीरज जी ।
आदरणीया आरती जी आपका हार्दिक आभार!
आदरणीय जीतेन्द्र जी आपका हार्दिक आभार!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online