For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

समन्दर की लहरों सी है जिन्दगानी

1  2 2 1   2 2 1 2   2 1 2 2

समन्दर की लहरों सी है जिन्दगानी
कभी बर्फ गोला कभी बहता पानी

उदासी के बूटे जड़े हैं सभी में
हो तेरी कहानी या मेरी कहानी

बुढ़ापे में होने लगी ताज़पोशी
किसी काम की अब नहीं है जवानी

ये मौजें भी अब मुतमइन सी हैं लगती
नहीं है वो जज्बा नहीं वो रवानी

नये ये नज़ारे बहुत दिलनशीं हैं
मगर मुझको भाती हैं चीज़ें पुरानी

अमित दुबे अंश  मौलिक व अप्रकाशित

Views: 773

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 3, 2013 at 3:25am

बढिया प्रयास हुआ है, भाईजी.. बधाई

Comment by अमित वागर्थ on October 2, 2013 at 6:26pm

veenas ji

            maine bina bahar soche hi ghazal likh dali baad me use vibhajit kiya so chuk ho gai .margdarshan hetu aapka tahedil se shukriya..

Comment by अमित वागर्थ on October 2, 2013 at 6:23pm

aap sabhi sudhijanon ko mera hardik aabhar

Comment by वीनस केसरी on October 1, 2013 at 10:41pm

बहुत खूब भाई जी बेहद शानदार ग़ज़ल कही है तहे दिल से ढेरो डैड क़ुबूल फरमाएं

एक बात कहना चाहत हूँ कि आपने बहर को जिस तरह से तोड़ किया है वो गलत है

1  2 2 1   2 2 1 2   2 1 2 2
यह मात्र क्रम इस प्रकार टूटती है - १२२  १२२   १२२  १२२ 
सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 1, 2013 at 4:21pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल आ० अमित दूबे जी 

उदासी के बूटे जड़े हैं सभी में 
हो तेरी कहानी या मेरी कहानी ............बहुत सुन्दर शेर 

तीसरे और चौथे शेर में तकाबुले रदीफ़ का ऐब बन रहा है.. गौर कीजिये 

हार्दिक शुभकामनाएं 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 1, 2013 at 2:36pm

वाह वाह आदरणीय अमित जी वाह

सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने दिली दाद क़ुबूल कीजिये

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 1, 2013 at 1:31pm

अमित भाई ग़ज़ल पर आपका प्रयास बहुत ही अच्छा बन पड़ा है इस हेतु बधाई स्वीकारें. शेर न. 3 और 4 में तदाबुले रदीफ़ का दोष है.

Comment by विजय मिश्र on October 1, 2013 at 1:03pm
खूबसूरत गजल ,बधाई भाई अमितजी
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 1, 2013 at 9:48am

बहुत बढ़िया गजल, बधाई स्वीकारें आदरणीय अमित जी

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 30, 2013 at 7:51pm

अमित दुबे जी बधाई अच्छी  गज़ल की , ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Vikas is now a member of Open Books Online
14 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
yesterday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service