For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हाथ काटे जा चुके हैं फिर तू आंखें लाल कर ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122     2122          2122            212

कोशिशों का अब कहीं नामों निशां रहता नहीं 

हाल अपना संग है वो ,जो कभी ढहता नहीं

हादसे कैसे भी हों कितने भी हों मंज़ूर सब

ख़ून अब बेजान आंखों से कभी बहता नहीं

मेरी क़िस्मत खोज कर के थक गयी मुझको वहाँ

जिन ठिकानो पर कभी मै भूल कर रहता नहीं

मुश्किलें खुद राह देंगीं रास्ते पर आ उतर  

ताल सड़ जाता है सुन ले, जो कभी बहता नहीं

हाथ काटे जा चुके हैं फिर तू आंखें लाल कर

आग सीने में अगर हो, चुप कभी सहता नहीं

मुश्किलों से इस क़दर तू आज रंजीदा न हो

कौन ऐसा सूर्य है , राहू जिसे गहता नही

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 845

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 1, 2013 at 8:27pm

आदरणीया प्राची जी , आपका मेरी गज़ल पर आना ही मेरा उत्साह वर्धन के लिये बहुत काफी है !! आपका बहुत आभार !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 1, 2013 at 8:25pm

आदरणीय रविकर भाई जी , रच्ना की सराहना के लिये आपका आभार !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 1, 2013 at 8:24pm

आदरणीय अरुण भाई उत्साह वरधन के लिये आपको हार्दिक धन्यवाद , आभार !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 1, 2013 at 8:22pm

आदरणीय सन्दीप भाई , हौसला अफज़ाईके लिये आपका दिली शुक्रिया !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 1, 2013 at 8:21pm

आदरणीय विजय भाई . गज़ल की सराहना के लिये आपका बहुत बहुत आभार !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 1, 2013 at 8:17pm

मुश्किलें खुद राह देंगीं रास्ते पर आ उतर  

ताल सड़ जाता है सुन ले, जो कभी बहता नहीं----बेहतरीन शेर हुआ वाह आदरणीय गिरिराज जी क्या कहने आपकी इस ग़ज़ल के ,बहुत अच्छी लगी दिली दाद कबूलें 

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 1, 2013 at 8:11pm

///हादसे कैसे भी हों कितने भी हों मंज़ूर सब

ख़ून अब बेजान आंखों से कभी बहता नहीं

मेरी क़िस्मत खोज कर के थक गयी मुझको वहाँ

जिन ठिकानो पर कभी मै भूल कर रहता नहीं/// वाह आदरणीय गिरिराज सर दिल को छूने वाले अशआर हैं दाद कुबूल करें

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 1, 2013 at 8:04pm

आदरणीय जीतेन्द्र भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका बहुत बहुत आभार !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 1, 2013 at 8:03pm

आदरणीय नीरज भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका बहुत शुक्रिया !!

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 1, 2013 at 7:45pm

वाह !-वाह ! मन मोह लिया आपकी सुंदर गज़ल ने ! हार्दिक बधाई !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
9 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service