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कहानी प्यार के फूल------------

 आज बरसो के बाद उधर जा निकला जहाँ कभी मेरे प्यार की आखरी कब्र बनी थी , उस जगह न जाने कहाँ से दो पीले रंग के फूल खिले थे . आँखों से गंगा जमुना बहने लगी ! सब कुछ ऐसे याद आने लगा की जैसे कल ही की बात हो! मन पुरानी यादों में खो गया ! आज बहुत ज्यादा थक कर सोया था ये प्राइवेट स्कूल की नौकरी भी ना स्कूल वाले पैसे तो कुछ देते नहीं बस तेल निकलने पे लगे रहते है! ओ बेटा जल्दी उठा जा आज छुट्टी है तो क्या शाम तक सोयेगा जा उठकर देख दरवाजे पे कौन है माँ घर के दुसरे कोने पे कुछ काम कर रही थी , माँ की आवाज़ सुन कर मुझे उठाना ही पड़ा , माँ हमेशा प्यार से उठती है आज क्या हुआ ? मन अभी इन्ही ख्यालो में खोया था आँखों को मलता हुआ मैं दरवाज़े पे जा पहुंचा , दरवाज़ा खोला तो डाकिया हाथ में एक डाक लिए खड़ा था ! एकदम से बोल बाबु 100 रूपए लूँगा ! डाक देखते ही मेरी आँखों से ख़ुशी के आंसू छलक पड़े इसी का तो इंतजार महीनो से कर रहा था ! डाकिये को 100 रूपए देकर विदा किया और माँ को जोर से आवाज़ लगायी माँ आज तेरी तपस्या पूरी हो गयी ! आज तेरे लाल को शिक्षा विभाग में नौकरी मिल गयी ! फिर तो शाम तक दोस्तों और रिश्तेदारों की तरफ से बधाई मिलती रही रात भर जशन होता रहा ! ये सितम्बर का महिना था , स्कूल टिहरी गढ़वाल  जिले में था ! ख़ुशी ख़ुशी वहां जाकर ज्वाइन कर लिया ! अभी उम्र भी थी ही कितनी 22 साल ही पुरे हुए थे ! एक तो सरकारी नौकरी की ख़ुशी और दुसरे जवानी का जोश मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा लेकर मैं अपने अध्यापन के काम में लग गया ! फिर एक दिन वो मेरे सामने आई तो दिल के न जाने कौनसे  रस्ते से दिल में उतर गयी ! धीरे धीरे 2 साल गुजर गए वो अभी मुझसे से उम्र में आधी ही थी मगर मुझे उससे प्यार हो गया वो थी ही इतनी प्यारी ! मैं उसको रोज देखा करता था तो देखता ही रह जाता था , ये प्यार भी अजीब अहसास है न उम्र देखता है और न जात बस जिसपे प्यार आ जाये तो फिर सबकुछ वही है ! उसके बिना रहना भी मुश्किल हो जाता है ! वक़्त गुजरता गया वो मेरे पास आने लगी ! फिर एक दिन मैंने उससे प्यार का इज़हार मौका देखकर कर ही दिया उसका जवाब सुनकर दिल ख़ुशी से झूम उठा , उसने कहा की वह तो पहले से ही मुझे बहुत प्यार करती है ! फिर तो रोज जिंदगी ज़न्नत बन गयी हम रोज मिलते घंटो फ़ोन पे बाते करते ! यही सब लगभग 3 साल तक चलता रहा साथ जीने मरने की कसमे खायी शादी के सपने देखे ! प्यार इतना गहरा था की हम पल भर भी एक दूजे से जुदा नहीं रह पाते थे ! रात भी देर तक फ़ोन पे बातें करते हुए गुजर जाया करती थी ! मन में एक दूजे की चाहत ऐसी बसी थी की हम दोनों दिन में भी बहुत सा वक़्त एक दुसरे के साथ गुजार लेते थे ! यह प्यार न जाने कब दीवानगी में बदल गया ! हम दोनों तो कभी कभी जरा जरा सी बातों पे झगडा भी करते थे मगर फिर 5 मिनट में ही एक दूजे को मनाने लग जाते थे ! नाराज तो रह ही नहीं पाते थे ! जब कभी मुझे घर जाना पड़ता था तो रो रो कर उसका बुरा हाल हो जाया करता था ! मैं भी घर पर हमेशा उसी के ख्यालों में खोया रहता था घर पर बिलकुल भी मन नही लगता था ! फ़ोन पर बातें किया करते थे और वो बार बार जल्दी लौटने को कहती थी ! मैं भी उसके बिना रह नही पता था और किसी न किसी बहाने से घर से जल्दी वापस उसके पास लौटकर आ जाया करता था ! वक़्त न जाने कब पंख लगा कर उड़ रहा था ! देखते ही देखते ३ साल कब गुजर गए भनक तक नही लगी ! प्यार तो खुले आसमान सा बढ़ता ही गया ! उसकी बोर्ड की परिक्षाए प्रारम्भ हो गयी थी ! मेरी ड्यूटी किसी और स्कूल में लगी थी , तो मैं उसके साथ नही जा सका ! उसके सारे पेपर ठीक ही हुए थे ! सिर्फ विज्ञान का पेपर खराब हुआ था ! मुझे बड़ी चिंता थी ! पेपर देकर वो डेल्ही चली गयी ! रिजल्ट आने तक उसकी छुट्टी थी ३ महीने का टाइम था ! मैं रात दिन अकेला तडपता रहता था उसकी यादें खूब रुलाया करती थी ! वो वहां से कभी - कभी ही फ़ोन कर पाती थी ! मैं रोज कैलेंडर पर  तारीखों पे गोले बनाया करता था ! जब याद ज्यादा सताने लगी तो हमने दिल्ली में ही मिलने का फैसला कर लिया और मैं बहाने से उसके पापा के पास जा पहुंचा ! २ दिन हम साथ रहे , उसका भाई भी साथ था ! हमने पूरा दिल्ली घुमा ! शाम को जब घर लौट आये तो वो छत पर मेरे पास आई , पीछे - पीछे उसका भाई भी आ गया ! उसको शक हो गया था की कुछ गड़बड़ है ! उसने कुछ ऐसी ही बाते कही जो मुझे बहुत बुरी लगी ! अगले दिन मैं उसके भाई को सब कुछ समझाकर वापस लौट आया ! अब सबकुछ सामान्य हो गया ! फिर जून में वो वापस अपने घर लौट आई ! उसका भाई मुझसे मिलने मेरे घर आया ! हम दोनों अगले दिन बाइक से उसके घर आ गए ! मुझे देखकर वो बहुत खुश हुयी ! हम दोनों को कुछ देर का एकांत मिल गया तो उसने कहा की उसे मेरी बहुत याद आती है ! अब मुझसे दूर नहीं जाना चाहती ! फिर फ़ोन पर बाते करने का एक लम्बा सिलसिला चल निकला ! अब मेरे मन में उसका प्यार और गहरा हो गया था ! मैं उसी से शादी करना चाहता था ! फिर एक दिन सबकुछ ख़त्म हो गया ! मुझे पता चला की उसने और दो या तीन लडको से दोस्ती कर ली थी और मुझे सिर्फ लालच की वजह से सम्बन्ध बनाए रखना चाहती थी ! मेरी तो जैसे दुनिया ही उजड गयी ! मरने जैसी नौबत हो गयी ! कई दिन रात रोता रहा ! फिर उसने समझाया की जो भी तुमने सुना सब झूठ है ! मैं तो तुम्ही को प्यार करती हूँ , और तुम्ही से शादी करुँगी ! कुछ महीने तक फिर सब कुछ सामान्य रहा ! एक दिन फिर कहीं से मुझे पता चला की वो मुझे धोखा दे रही है ! जब मैंने तहकीकात की तो सच सामने आ गया !  उसने मुझसे माफ़ी मांगी और भविष्य में ऐसा ना करने की कसम खायी ! मेरा दिल उसके प्यार मैं आकंठ डूबा हुया था ! मैंने उसको माफ़ कर दिया ! अब अक्सर फ़ोन पे भी हमारी लडाई हो जाया करती थी ! वो मुझे हमेशा मना लेती थी ! दिल फिर भी उसपर भरोसा करता था ! मगर एक दिन मैंने खुद अपनी आँखों से उसकी बेवफाई देख ली !  दिल संभाले ना संभला , आँखे बरसने लगी और मन का लावा बह जाने को आतुर हो गया ! मैंने उसको फ़ोन मिलाया की पूछ सकूँ , कि वो क्यों मेरी भावनाओं और जिंदगी से खेलती रही ? मुझे धोखा क्यों देती रही ? उसका फ़ोन लगातार प्रतीक्षा पर था ! मुझसे रहा ना गया मैंने उसको ३ या ४ सन्देश भेजे की मेरी कॉल  अटेंड करो , मगर उसने कोई जवाब नही दिया ! मैंने तन और मन दोनों से नियंत्रण खो चूका था ! मैंने उसके पापा की कॉल करके सबकुछ बता दिया ! फिर इतना झगडा हुआ कि हमारा रिश्ता ही हमेशा के लिए टूट गया ! हम दोनों ने एक दुसरे से कभी भी बात ना करने का वादा किया ! मैं उसको भुला देना चाहता था इसिलिय ३ महीने की छुट्टी लेकर घर आ गया ! पल भर को भी मैं उसको भुला ना सका ! गुस्से और लाचारी में मैंने जहर खा लिया , मगर मुझे घरवालो ने बचा लिया ! मुझे उसकी यादें मार डालती थी ! दिन रात बस रोता ही रहता था ! मन फिर उससे बात करने का होता था मगर उसने अपना नंबर ही बदल लिया था ! मैं उससे एक बार बात करके पूछना चाहता था की मैंने प्यार में कहा कमी रखी ? पर ३ महीने तक कोई संपर्क नही हो सका ! फिर मैं ड्यूटी पर वापस लौट आया ! और एक दिन फिर मैंने उसको सड़क से जाते हुए देखा , उसने भी मुझे देख लिया ! घर जाकर उसने मेरे नंबर पर दो बार कॉल की मगर मैं उठा नही पाया ! शाम को मैंने जब उस नंबर पर बात की तो मैं उसकी आवाज़ पहचान गया ! उसने रो रो कर मुझसे अपनी गलती की माफ़ी मांगी ! मेरे दिल में अभी तक उसके लिय प्यार जिन्दा था ! मगर उसकी बेवफाई प्यार पर भारी हो रही थी ! लिहाज़ा मैंने उससे कहा की वो सिर्फ एक दोस्त की तरह मुझसे बात करे ! ऐसा करते करते १ साल गुजर गया ! फिर एक दिन उसने कहा की वो मेरे बिना जी नही सकती ! और मुझसे ही शादी करना चाहती है ! मैं उसके अतीत को भुलाकर उससे शादी कर लूँ ! मैंने उससे फैसला करने के लिए समय माँगा ! और मेरा फैसला हाँ में था ! वो बहुत खुश थी और उसने कहा की मैंने देवी माँ से विनती की थी अगर मैंने उसको दिल से माफ़ करके उसको अपना लिया तो , वो देवी माँ के मंदिर जा कर मेरे साथ पूजा करेगी ! हमने धारी देवी मंदिर जा कर पूजा की ! फिर हम लोग घुमने देहरादून गए ! हम दोनों ने रात एक होटल में गुजारी ! जहाँ उसने मुझे अपना पति मानते हुए मेरे हाथो से अपनी मांग भरवाई ! उसके बालिग़ होने में अभी करीब ७ महीने बाकी थे ! अतः हम कानूनी रूप से शादी नही कर सकते थे , मगर हम उस दिन तन और मन से एक हो गए ! अगले दिन वापस घर लौट आये ! वो अपने घर चली गयी और एक पत्नी की तरह  मुझसे दूर रहकर भी सारे धर्म निभाने लगी ! अब मैं बहुत खुश था की ७ महीने बाद मैं उससे शादी कर लूँगा ! कुछ समय ऐसे ही बीत गया ! वो कभी कभी बाज़ार आ जाती और मैं उसको खूब शौपिंग करवाता था ! उसका पूरा ख्याल रखता था ! इस बीच उसके भाई की शादी आ गयी थी मैंने उसको जरुरत की सभी चीज़ें खरीदवा दी थी ! अपने भाई की शादी के बाद वो अपने पापा के साथ दिल्ली चली गयी ! क्योंकि हमारे यहाँ रहने से लोगो के देख लेने के डर से हमारा मिलना मुश्किल था ! मैं कभी कभी उससे मिलने दिल्ली चला जाता था ! वहां दिनभर हम साथ रहते ! एक दिन हमने कुछ दोस्तों के बीच एक दुसरे को पति - पत्नी मानते हुए शादी कर ली ! उसने मंगल सूत्र , सुहाग चुडा, चुनरी  और दुल्हन के पहनने का सभी सामान ख़रीदा ! दो दिन हम साथ रहे ! फिर मैं वापस ड्यूटी लौट आया ! इस बीच हम फेसबुक और फ़ोन पर एक दुसरे के संपर्क में रहे ! फिर मुझे एक दिन पता चला की वो अपनी बहन के जेठ के साथ बात करती है और उसको प्रेम करती है ! इस बात पर हमारा खूब झगडा हुआ ! मगर वो इस बार फिर मुझे समझाने और मनाने में कामयाब हो गयी ! करीब १० दिन बाद उसने मुझसे दिल्ली आने को कहा ! वो बोली की उसको एक शादी में जाना है और मैं उसको शौपिंग करवाने आ जाऊं ! अब आखिर वो मेरी बीवी थी तो मुझे जाना ही पड़ा ! पहले दिन हम एक होटल में रहे , मेरे साथ मेरा एक दोस्त भी था ! अगले दिन हम शौपिंग करने सरोजनी नगर गए ! हमारे पास अपनी कार थी ! उसको उसके घर के नजदीक से पिक अप किया ! शौपिंग ख़त्म करके जैसे ही हम निकलने वाले थे , वो किसी को देखकर कहने लगी की वो एक भैया है जो मेरी कॉलोनी में रहते है ! उन्होंने मुझे तुम्हारे साथ देख लिया है ! अब वो सब को बता देंगे ! अभी मैं नाबालिग हूँ ! हम दोनों का क्या होगा ! मुझे जल्दी से घर छोड़ दो ! मैट्रो से चलेंगे ! कार से तो देर हो जाएगी ! मैं दोस्त को कार सहित वहीँ छोड़कर उसको मैट्रो से उसके घर छोड़ने आ गया ! रस्ते भर हम परेशान थे ! वो बोली अब अगर सब को पता चल ही गुया है तो मुझे आज ही ले चलना बस एक बार पापा और भैया से बात कर लो ! मैं उसको छोड़कर दोस्त के पास लक्ष्मीनगर आ गया ! वो मुझे वापस बुला रही थी ! मैं दोस्त को लेकर वापस जाने ही वला था की उसके भाई का फ़ोन मुझे आ गया ! मैंने उसको सबकुछ बता कर उसकी बहन के साथ शादी की इच्छा जताई ! वो तो लगभग मान ही गया था मगर उसके पापा नही माने !मैं अपने दोस्त की सलाह पर वापस घर लौट आया ! सुबह को मैंने उनके घर फ़ोन किया तो सब मुझपे भड़क गए ! मुझे जेल भिजवाने  की धमकी देने लगे ! वो भी मेरे खिलाफ बोल रही थी ! उसने कहा की मैं सबकुछ जबरदस्ती कर रहा था ! मैं हैरान रह गया ! अगले दिन मुझे दिल्ली पुलिस स्टेशन से मेरी एफ. आई . आर . दर्ज होने सम्बन्धी कॉल आ गयी ! मुझे कुछ दोस्तों को साथ लेकर वहां जाना पड़ा ! वहां उसने मेरे खिलाफ ब्यान दिए , और मुझ पर जबरदस्ती करने के आरोप लगाये ! बाद मैं उसके पापा और भाई पैसे लेकर समझौता करने को तैयार हुए ! मुझे ५.५ लाख रूपए देकर वहां से राहत मिली ! मेरी घर और रिश्तेदारों के बीच बहुत बेईज्ज़ती हुयी ! अपनी ना समझी का एहसास हुआ ! और एक धोखेबाज़ पर बार बार यकीं करने की सजा मुझे मिल चुकी थी ! आज भी उस धोखेबाज़ के झूठे प्यार को याद करके आत्मा तक काँप जाती है ! .......................मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment by वेदिका on October 7, 2013 at 1:55am

कहानी को और समय देकर कसा जा सकता है| 

//आज भी उस धोखेबाज़ के झूठे प्यार को याद करके आत्मा तक काँप जाती है// मेरे ख्याल से प्यार कभी झूठा नहीं होना होता, वह या तो झूठा होता है या प्यार| समय लें और आ0 सौरभ जी का कहा संज्ञान करे ताकि इस रचना मे लगाई ऊर्जा फलीभूत हो|

सादर !!   


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 3, 2013 at 4:12pm

यह आपकी कहानी न हो तो क्या आप ऐसी कहानी पढ़ना पसंद करेंगे जिसमें पंक्चुएशन और पॉराग्राफ़ की इतनी भारी समस्या हो और सारे शब्द एक-दूसरे के ऊपर चढे हुए दिखें ? 

आप इस कहानी को व्यवस्थित कर पुनः पोस्ट करना चाहेंगे, सर  ?

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