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गाँव बसे कैसे भला ,करते बंदरबांट !
कम्बल तो देते मगर ,लूट लिये सब खाट !!१

हंस देखता रह गया ,बगुले के सर ताज !
गीदड़ अब राजा बना ,गीदड़ सिंह समाज !!२

आदि अंत सब हैं वही ,उनका ही संसार !
वो मिटटी के तन गढ़े ,कितने कुशल कुम्हार !!३

धन की चंचल चाल का ,फैला है भ्रमजाल !
जो पाते वो भी विकल ,बिन पाए बेहाल !!४

पर पीड़ा दिखती नहीं, ऐसे कैसे लोग!
दीमक जैसा खा रहा ,लालच नामक रोग !!५
*********************************************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक व् अप्रकाशित

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Comment by vandana on October 5, 2013 at 7:38am

आदरणीय राम शिरोमणि जी  दोहों के कथ्य अच्छे लगे 

धन की चंचल चाल का ,फैला है भ्रमजाल !
जो पाते वो भी विकल ,बिन पाए बेहाल !

प्र+क् =2  ऋ=1 ति =1 ये मात्रा इस प्रकार गिनी जानी चाहिए फिर भी यह लिंक देखिये -

http://www.openbooksonline.com/group/hindi_ki_kaksha/forum/topics/5...

Comment by ram shiromani pathak on October 4, 2013 at 3:22pm

आदरणीय भाई अरुण शर्मा जी इससे आपका और मेरा दोनों लोगों के शंका का समाधान हो जाएगा। ……

साथ ही एक और प्रश्न। …. "प्रकृति" में कई लोग ३ मात्रा मानते है और कई लोग ४ चार इसे किस हिसाब से सही माना जाय //

गुरुजनों से निवेदन है कृपा कर मार्गदर्शन करें //सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 4, 2013 at 3:18pm

भाई कदाचित ऐसा होता है तो मुझे ज्ञात नहीं अधिक गुरुजन ही कहेंगे. मैं स्वयं भी इच्छुक हूँ जानने हेतु.

Comment by ram shiromani pathak on October 4, 2013 at 3:09pm

 बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई राजेश  जी। सादर

Comment by ram shiromani pathak on October 4, 2013 at 3:07pm

आदरणीय भाई अरुण शर्मा जी आप सही कह रहे है मै आपसे सहमत भी हूँ लेकिन आपका ध्यान कुछ शब्दों पर केन्द्रित करना चाहूंगा !!

उन्हें =३ मात्रा (उच्चारण अनुसार )
उन्होंने =५ मात्रा

ठीक उसी प्रकार मैंने "कुम्हार" = ४ मात्रा माना है भाई ///सादर

Comment by ram shiromani pathak on October 4, 2013 at 3:01pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय  मिश्र  जी। सादर 

Comment by ram shiromani pathak on October 4, 2013 at 3:01pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई केवल  जी। सादर 

Comment by ram shiromani pathak on October 4, 2013 at 3:00pm

 बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई जोशी  जी। सादर 

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 4, 2013 at 3:00pm

अनुज ग़ज़ल के हिसाब से मात्रा गणना हाहाहा भाई जी छंद में आधा वर्ण सदैव अपने से पहले के साथ ही गिना जाता है आपको भी पता है भाई.

कुम्हार : क़ुम् २ हा २ र १

Comment by ram shiromani pathak on October 4, 2013 at 3:00pm

दोहों को और भी सशक्त करने का प्रयास  करता हूँ //  बहुत बहुत आभार आदरणीय गणेश जी। सादर 

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