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नज्म ...........मुलाक़ात अधूरी है

              १

ना जाओ अभी कि मुलाक़ात अधूरी है !

तेरे – मेरे मिलन की हर बात अधूरी है !

 जाने क्यों चल दिए तुम दामन छुडाकर!

शबनमी आँखों से लाज के मोती गिराकर !

पुरसुकूं हुस्न की एक झलक दिखाकर !

अभी नही बुझी आँखों की प्यास अधूरी है !

ना जाओ अभी कि मुलाक़ात अधूरी है !

तेरे – मेरे मिलन की हर बात अधूरी है !

               २

काली बदलियों का आँखों में काजल लगाकर !

कांच के पैमाने में मय का जाम थमाकर !

रुखसारो पे अश्को की शबनम गिराकर !

भीग जाएगा बदन कि बरसात अधूरी है !

ना जाओ अभी कि मुलाक़ात अधूरी है !

तेरे – मेरे मिलन की हर बात अधूरी है !

              ३

सोये सोये से दिल के अरमान जगाकर !

जवाँ जवाँ धडकनों के जज्बात जगाकर !

आशिक को इश्क की औकात जताकर!

रुक जाओ अभी कि रात अधूरी है !

ना जाओ अभी कि मुलाक़ात अधूरी है !

तेरे – मेरे मिलन की हर बात अधूरी है !

डॉ. अनुराग सैनी

मौलिक व अप्रकाशित

 

 

 

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 3, 2013 at 7:51am

भार्इ जी, नज्म के सुन्दर भाव अच्छे लगे, किन्तु शिल्प पर पुन: गौर करें।  बहुत बहुत शुभकामनाएं।  सादर,

Comment by वेदिका on October 3, 2013 at 3:13am

रचना बढ़िया हुयी है| लेकिन जब तक नज्म के मानक नहीं प्राप्त होंगे, शिल्प पर कुछ भी कहना संभव नहीं|

सादर !! 

Comment by Sushil.Joshi on October 2, 2013 at 9:56pm

सुंदर नज़्म है आदरणीय अनुराग जी.....बधाई हो....

कृपया ध्यान दे...

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