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मोतबर चुप है ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122     1212    22  

       

जुल्म को देख रहगुज़र चुप है

गाँव सारा नगर नगर चुप है

खामुशी चुप ज़ुबां ज़ुबां है  चुप

दश्त चुप है शज़र शज़र चुप है

दोस्त चुप चाप दुश्मनी भी चुप

सारा आलम बशर बशर चुप है

जिसने देखा वही है दहशत में

इसलिये हर नज़र नज़र चुप है 

ज़ख्म चुप है,बहा लहू भी चुप

बेख़बर चुप ख़बर ख़बर चुप है

चुप है आईन तो दफा भी चुप

दुख यही है कि मोतबर चुप है

     **********

दश्त= जंगल 

आईन= कानून

मोतबर=जिसका एतबार किया हो,विश्वस्त

मौलिक एवँ अप्रकाशित्

( दोष  सुधार के बाद )

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 5, 2013 at 6:37am

आदरणीय वीनस भाई , तकाबुले रदीफ साफ साफ दिख रहा है , मै शर्मिन्दा हूँ , अपनी ग़लती नही खोज पाता !! सुधार कर देता हूँ !! ग़लती बताने के लिये आपका आभारी हूँ !!

Comment by coontee mukerji on October 5, 2013 at 12:58am

चुप है आईन हर दफा चुप है

दुख यही है कि मोतबर चुप है..............बहुत खूब.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 4, 2013 at 11:23pm

बह्र को निभा ले जाने में आप सफल हुए हैं आदरणीय. प्रयास भी गहन है.  आखिरी शेर को हुस्ने मतला बनाया जा सकता है, अन्यथा शेर दोषपूर्ण है.  

बहुत-बहुत बधाई, इस प्रयास पर.

Comment by वीनस केसरी on October 4, 2013 at 11:07pm

चुप है आईन हर दफा चुप है

दुख यही है कि मोतबर चुप है


आदरणीय, तकाबुले रदीफ का श्यान नहीं रहा क्या ?

Comment by MAHIMA SHREE on October 4, 2013 at 10:41pm

अच्छी गज़ल है आदरणीय बधाई आपको

Comment by बृजेश नीरज on October 4, 2013 at 10:31pm

अच्छी ग़ज़ल कही है आदरणीय गिरिराज जी! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by annapurna bajpai on October 4, 2013 at 10:15pm

आदरणीय भण्डारी जी बेहतरीन गजल हेतु बधाई स्वीकारें । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 4, 2013 at 9:50pm

आदरणीय सुशील भाई , गज़ल की सराहना कर हौसला अफज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रिया !!!!

Comment by Sushil.Joshi on October 4, 2013 at 9:31pm

जिसने देखा वही है दहशत में

इसलिये हर नज़र नज़र चुप है 

चुप है आईन हर दफा चुप है

दुख यही है कि मोतबर चुप है...... वाह वाह आदरणीय गिरिराज जी.... बहुत खूब.... आप बधाई के पात्र हैं.....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 4, 2013 at 9:15pm

आदरणीय केवल भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका दिली शुक्रिया !!!!!

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