For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"डॉ साहिब, हमें बेटी नहीं चाहिए. आप बहू का एबॉर्शन कर दीजिए."
"ठीक है, आप लोग कल शाम मेरे प्राइवेट क्लिनिक पर आ जाईए".
"कल नहीं डॉ साहिब, हम लोग अगले हफ्ते ही आ पाएंगे"
"अगले हफ्ते क्यों ?"
"क्योंकि अभी नवरात्रे चल रहे हैं "

(मौलिक एवँ अप्रकाशित्)

Views: 1100

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 17, 2017 at 11:23pm

एक तरफ कन्याओं को मान सम्मान दिया जाता है कन्या भोज करवाकर और दूसरी और कन्या का जन्म नहीं होना चाहिए , यह मानसिकता जाने कब बदलेगी ? यह कैसी विडम्बना है , कैसा प्रोग्रेस हुआ है अपने देश में आज तक समझ नहीं आया है | बहुत बहुत बधाई आपको इस कथा के लिए भी आदरणीय सर |

Comment by Kiran Arya on December 11, 2013 at 4:27pm

एक नग्न सत्य को दर्शाती लघु कथा .....आज जहाँ एक और हमारे इस देश में स्त्री को देवी माँ के रूप में पूजा जाता है और दूसरी ओर वहीँ भ्रूण हत्या कर दी जाती है गर्भ में लड़की है ये पता चलते ही .....ये हमारी विडम्बना ही है .......आपकी लघु कथा पढने के बाद लघु कथा के विषय में बहुत कुछ नया समझने का अवसर मिला है हमें आज .......शुभं


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 9, 2013 at 3:42pm

भाई राहुल देव जी, रचना पसंद करने के लिए हार्दिक आभार। यदि संवाद शैली में कही गईं लघुकथायों के बारे में आपका भ्रम दूर हुआ, तो यह मेरे लिए बेहद ख़ुशी की बात है. और मेरे भाई गुस्सा मत किया करें, यह सेहत के लिए अच्छा नहीं होता।


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 9, 2013 at 3:37pm

देर से एकनॉलेज करने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ आदरणीय सौरभ भाई जी. आपको लघुकथा पसंद आई तो मेरा श्रम सार्थक हुआ. आपकी उत्साहवर्धक टिप्प्णी के लिए ह्रदयतल से आपका आभारी हूँ. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 15, 2013 at 10:22pm

आदरणीय योगराजभाईसाहब, एसी किसी सच्चाई को इस सरलता से कह पाना मात्र शाब्दिक नहीं बल्कि अदम्य भावनात्मक सामर्थ्य की अपेक्षा करता है. और ऐसा वही कर सकता है, जिसने समाज को उसके घिनौने चेहरे के साथ देखा हो और मुँह पर कस कर तमाचे जड़े हों. इस विशेष कथा का आकाश इतना बड़ा है कि समाज की विद्रुपताओं के ऐसे कई-कई विवर (ब्लैकहोल) दिख रहे हैं जिनके कारण मन-मस्तिष्क सन्न हो जा रहा है.

नमन है आपके कथा सामर्थ्य को और इसकी विशिष्टता को.

अद्भुत ! अद्भुत !!

सादर


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on October 10, 2013 at 11:44am

आपकी सराहना का ह्रदय तल से आभारी हूँ भाई संदीप द्विवेदी जी।


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on October 10, 2013 at 11:43am

आपके उत्साहवर्धन का दिल से आभारी हूँ आद० अभिनव अरुण भाई जी ।


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on October 10, 2013 at 11:42am

हार्दिक आभार आद० कपीश चन्द्र श्रीवास्तव जी


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on October 10, 2013 at 11:41am

हार्दिक आभार आद० मीना पाठक जी । 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on October 10, 2013 at 11:40am

सादर आभार आदरणीय रविकर भाई जी। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
59 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
1 hour ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
1 hour ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, हार्दिक धन्यवाद।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service