For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : बँधी भैंसें तबेले में

ग़ज़ल
बह्र : हज़ज़ मुरब्बा सालिम
1222 , 1222 ,

बँधी भैंसें तबेले में,
करें बातें अकेले में,

अजब इन्सान है देखो,

फँसा रहता झमेले में,

मिले जो इनमें कड़वाहट,
नहीं मिलती करेले में,

हुनर जो लेरुओं में है,
नहीं इंसा गदेले में,

भले हम जानवर होकर,
यहाँ आदम के मेले में,

गुरु तो हैं गुरु लेकिन,
भरा है ज्ञान चेले में..

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1002

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 11, 2013 at 4:04pm

अरुण जी ..इतने छूती बहर में इतनी शानदार ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें ..सादर 

Comment by MAHIMA SHREE on October 10, 2013 at 10:41pm

बँधी भैंसें तबेले में,

करें बातें अकेले में,.....वाह वाह आदरणीय बिलकुल सही ... पगुराते हुए भैसे अकेले जितना चिंतन मनन करती है अगर इन्सान उसका थोडा सा भी कर ले ... कोई  झमेले में कभी फसे नहीं .... ..:))))))

अजब इन्सान है देखो,

फँसा रहता झमेले में,.... ...  बहुत -२ हार्दिक बधाई शानदार

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 10, 2013 at 5:17pm

आदरणीया प्राची दी आपकी बधाई पाकर मन प्रसन्न हो गया, आपको खयाल पसंद आया तसल्ली मिली. सच कहूँ तो डर डर के पोस्ट करने की गुस्ताखी की थी. आशीष एवं स्नेह यूँ ही बना रहे .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 10, 2013 at 5:12pm

प्रिय भाई अरुण जी 

भैसों पर ज़बरदस्त मतला प्रस्तुत किया है.... वाह! इस ओरिजनल शानदार ख़याल के लिए दिली बधाई 

गुस्ताख मक्ता भी बहुत पसंद आया... :))  

हार्दिक बधाई 

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 10, 2013 at 3:23pm

शुक्रिया सचिन भाई

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 10, 2013 at 3:22pm

हार्दिक आभार आदरणीय वैद्यनाथ भाई जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 10, 2013 at 3:18pm

हार्दिक आभार आदरणीय अभिनव भ्राताश्री आशीष एवं स्नेह बना रहे

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 10, 2013 at 3:18pm

हार्दिक आभार आदरणीया गीतिका जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 10, 2013 at 3:18pm

हार्दिक आभार आदरणीया अन्नपूर्णा जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 10, 2013 at 3:17pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुशील भाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
5 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
17 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
17 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
23 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service