For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बोलो किसको राम कहूँ मै ( गीत ) गिरिराज भंडारी

बोलो किसको राम कहूँ मै

*********************

सबके दिल मे रावण देखा, बोलो किसको राम कहूँ मै !

 

धृतराष्ट्र से मोह मे अन्धे

अपना अपना बचा रहे है

चौक चौक मे दुर्योधन बन

चौसर द्युत सा सजा रहे है

 

भीष्म सदा ही चुप रहता है

बोलो किसको श्याम कहूँ मै

सबके दिल मे रावण देखा, बोलो किसको राम कहूँ मै !!

 

हर राजा सर चढ़ा ज़ुर्म है

भूले सारे सत्य - मर्म हैं

मानव सेवा की क़समे लें

केवल लूटें , यही धर्म है

तुम भूखे थे, रोटी छीनी

फिर किसको बदनाम कहूँ मैं

सबके दिल मे रावण देखा, बोलो किसको राम कहूँ मै !!!

सुबह हुई  पर डरी हुई है

धूप है लेकिन मरी हुई है

सारे मौसम  आतंकित हैं

सब में दहशत भरी हुई है

                                                                                    

सच कोने मे छिपा हुआ है

क्यों सच का संग्राम कहूँ मै

सबके दिल मे रावण देखा, बोलो किसको राम कहूँ मै !!!!

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 1062

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 17, 2013 at 8:52pm

आदरणीया प्राची जी , अभी गेयता तक पहुँच पाया हूँ , अभी आप लोगों से बहुत सीखना है !!!! सराहना के लिये आपका बहुत आभार !!!!

स्नेह ऐसे ही बनाये रखें !!!!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 17, 2013 at 8:43pm

बहुत खूबसूरत प्रवाह और गेयता आदरणीय गिरिराज भंडारी जी 

इस गीत के लिए हार्दिक बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 17, 2013 at 5:59pm

आदरणीय सौरभ भाई , गीत के कुछ हिस्से आपको पसन्द आय्रे ये मेरे लिये आशा जनक है , आप लोगों के मार्ग दर्शन मे और अच्छा कर पाऊँ ऐसी कोशिश हमेशा रहेगी !!!! गीत की सराहना कर उत्साह वर्धन के लिये आपका दिल से आभारी हूँ !!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 17, 2013 at 5:53pm

आदरणीय बडे भाई विजय जी , गीत रचना आपको पसन्द आई इसके लिये मै आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 4:59pm

सुबह हुई  पर डरी हुई है
धूप है लेकिन मरी हुई है
सारे मौसम  आतंकित हैं
सब में दहशत भरी हुई है
                                                                                    
सच कोने मे छिपा हुआ है
क्यों सच का संग्राम कहूँ मै
सबके दिल मे रावण देखा, बोलो किसको राम कहूँ मैं

उपरोक्त पंक्तियों के लिए बार-बार बधाइयाँ आदरणीय. अत्यंत प्रवहमान और सटीक पंक्तियाँ हुई हैं.

अन्य बन्द तार्किकता की कसौटी पर और सक्षम होने की चाहना रखते हैं, ऐसा महसूस हुआ.
आपके रचना प्रयास को सादर बधाइयाँ.
सादर

Comment by vijay nikore on October 15, 2013 at 6:57pm

बहुत ही सुन्दर, मोहक प्रस्तुति, भाई गिरिराज जी। आपको बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 15, 2013 at 5:58pm

आदरणीय बृजेश भाई , गीत की सराहना कर उत्साह वर्धन के लिये आपका बहुत बहुत आभार !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 15, 2013 at 5:56pm

आदरणीया गीतिका जी , गीत की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 15, 2013 at 5:55pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी , गीत पर आपका आना और ऐसी प्रतिक्रिया देना बहुत सुखद और उत्साह वर्धक है !!!

!!!!आपका बहुत शुक्रिया !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 15, 2013 at 5:53pm

आदरणीय सुशील भाई गीत आपको पसन्द आई , मेरा प्रयास , मेरी मेहनत सार्थक हुई !!!! आपका बहुत शुक्रिया !!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service