क्यों बे साले तेरी ये मजाल ... दो टके का मजदूर हो के मुझसे ज़बान लड़ाता है !
साहेब, गरियाते काहे हैं, मजदूर तो आपौ हैं
क्या बकता है हरामखोsss
माई बाप ... पिछले हफ्ता एक मई का आपै तो कहे रहेन ,,, "हम सब मजदूर हैं"
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
मंच पे खड़े हो कर एकता के नारे लगाना , लुभावने भाषण देना एक बात है और कथ्य को मन से महसूस कर कथ्यानुरूप आचरण भी होना बिलकुल ही अलहदी बात!
बहुत ही सुगठित और कम शब्दों में स्पष्ट सन्देश देती सार्थक लघुकथा
सादर बधाई आ० वीनस जी
वीनस भाई, इस लघुकथा के माध्यम से अत्यंत शाब्दिक और परले दर्ज़े के स्वार्थी दलालों की पूरी कलई खोली गयी है जो ’हम मज़दूर हैं..’ की मुट्ठी-भींचीं चीखों की ओट में असली खेल खेलते हुए राजनीति कर रहे हैं. उन्हें अपनी संज्ञा में मज़दूर शब्द तो मांगता है, लेकिन मज़दूर का कर्म और मज़दूर का जीवन नहीं.
बहुत ही सार्थक प्रस्तुति हुई है. आपकी कम ही लघुकथाएँ हमने देखी हैं. लेकिन जितनी देखी हैं वे सामान्य स्तर से बहुत ऊँची हैं. और उनके लिहाज़ और नज़रिये का विस्तार अवश्य ही बड़ा है.
दिल से बधाई स्वीकारें
हा हा हा ......औपचारिकता में कह दी गयी बातें कहाँ याद रहती हैं!
बहुत सुन्दर कटाक्ष! आपको हार्दिक बधाई!
सादर!
वाह वाह वीनस भाई.... सचमुच इस लघु कथा ने बता दिया कि ज़्यादा लिखना मायने नहीं रखता..... वरन् मायने रखता है तो केवल वह बात, भाव या प्रहार जो कम शब्दों के बावजूद पूर्णत: पाठक या श्रोता के मन तक पहुँच जाए एवं उसे झकझोर कर रख दे..... इस सुंदर लघु कथा के लिए बधाई स्वीकारें.....
मालिक गाली का प्रयोगकर रौब जमा रहा था, मजदूर ने सुंदर शब्द से उसकी औकात बता दी । बधाई वीनस भाई ।
वाह बहुत ही बढ़िया ... हार्दिक बधाई आपको
बहुत संक्षेप में कटाक्ष कह गए ,बधाई
बहुत बढ़िया तरीके से आपने दोगलेपन पर कटाक्ष किया है आदरणीय सर
आप सभी का हार्दिक आभारी हूँ
मित्रों
कुछ लोगों ने कहा कि उन्होंने पहली बार मेरी कोई लघुकथा पढ़ी है सभी से निवेदन है कि मैंने कुछ लघुकथाएं पहले भी ओबीओ पर पोस्ट की है, समय मिले तो मेरी पुरानी पोस्ट पर आईयेगा ...
सादर
बहुत कम शब्दों में अर्थपूर्ण कथन...अति सुंदर! लघुकथाएँ वैसे भी बहुत भाती हैं, पर कसी हुई शैली की बात ही और होती है।
बहुत बहुत बधाई आपको वीनस जी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online