दिल के बिना जैसे कोई नादान जिन्दा रह गया
वैसे हो बेघर इक हसीं अरमान जिन्दा रह गया
है आदमी ही आदमी की जान का दुश्मन हुआ
यारों खुदा का है करम इंसान जिन्दा रह गया
टूटा हमारा हौसला उम्मीद फिर भी थी जवां
रख आरजू जीने की ये बेजान जिन्दा रह गया
मेरे खुदा मुझ पर तेरा रहमो करम हरदम रहा
तूफ़ान में अदना सा ये इंसान जिन्दा रह गया
लगते रहे हर रोज ही इल्जाम तो हम पर बड़े
माँ की दुआओं से मेरा सम्मान जिन्दा रह गया
होता नहीं था हम पे तो दीवानगी का कुछ असर
दिल में हमारे कैसे ये तूफ़ान जिन्दा रह गया
नाजुक हसीं गुल की हँसी उतरी थी दिल में जिस घड़ी
दिल में उसी पल से हसीं मेंहमान जिन्दा रह गया
डॉ आशुतोष मिश्र
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय कपिश जी ...तकनीक का ज्ञान तो मुझे भी नहीं है ..चंद महीनात पहले जब से मैं इस मंच पर जुड़ा हूँ ..हर प्रयास पर बिद्वात्जानो से कुछ न कुछ सीखने को सतत ही मिल रहा है ..आपके शब्दों से मुझे नूतन उर्जा मिली है ..सदर धन्यवाद के साथ
आदरणीय आशुतोष सर बेहतरीन ग़ज़ल हुई है आदरणीय गिरिराज जी से सहमत हूँ तकाबुले रदीफ़ दोष है साथ ही साथ अंतिम शेर की तक्तीअ पुनः कर लें. इन दो अशआरों पर दिली बधाई स्वीकारें.
मेरे खुदा मुझ पर तेरा रहमो करम हरदम रहा
तूफ़ान में अदना सा ये इंसान जिन्दा रह गया .. वाह वाह
लगते रहे हर रोज ही इल्जाम तो हम पर बड़े
माँ की दुआओं से मेरा सम्मान जिन्दा रह गया .. लाजवाब लाजवाब
मेरे खुदा मुझ पर तेरा रहमो करम हरदम रहा
तूफ़ान में अदना सा ये इंसान जिन्दा रह गया /// ..... बहुत ही सुंदर
माँ और भगवान की महिमा गाने और सुंदर गज़ल कहने की हार्दिक बधाई आशुतोष भाई ।
आदरणीया सरिता जी ..मेरी ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया से मुझे उर्जा मिली है यूं ही स्नेह बनाये रखें ..सादर
आदरणीया वंइ दना जी ..हौसला अफजाई के लिय हार्दिक धन्यवाद
आदरणीया कल्पना जी ,उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद
आदरणीय गिरिराज जी ..इस बार काफी ध्यान देने के बाद भी चूक हो ही गयी ..आपके मार्गदर्शन के अनुरूप संसोधन करने का प्रयास करूँगा .आपके स्नेहिल शब्द मुझे हमेशा उर्जा प्रदान करते हैं ..हार्दिक धन्यवाद ..दशहरे की शुभकामनाओं और सादर प्रणाम के साथ
आदरणीय आशुतोष जी लाजवाब गजल ,बधाई बधाई
लगते रहे हर रोज ही इल्जाम तो हम पर बड़े
माँ की दुआओं से मेरा सम्मान जिन्दा रह गया
वाह बहुत खूब आदरणीय आशुतोष जी
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