क्या कहूँ , क्या लिखूँ
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ऊंची से और ऊंची होती इमारतें
महल नुमां ,
प्राकृतिक धूप , हवा भी
छीन लेने को लालायित
ग़रीबों के हिस्से से
दिमाग़ के अन्दरूनी किसी कमरे मे
भरा हुआ है
इससे उपजा विरोध !!!
बजबजाती नालियों के किनारे
गन्धाती गलियों में
टूटी फूटी ,आधी अधूरी
चूहती ,सीलती झोपडियाँ
नंगे, अधनंगे ,रोते चिल्लाते
भूख से कलपते बच्चे
असहाय , लाचार माँ-बाप
और उसके बाद भी
साजिशें , महलों की
झोपड़ियाँ भी छीन लेने की
सब कुछ है एक साथ
ज़ेहन मे है मेरे !!!!
और वो चादर भी
जो कभी पूरी न पड़ी
मध्यम को
खींच तान की जायी
चिंतायें , परेशानियाँ
बड़े बनने की चाहत में
बिगड़्ते रास्ते
बिकते ज़मीर
खोते ,दूर होते रिश्ते
रोती, सुखद परम्परायें
व्यथित संस्कृति
हावी होती निर्ल्लजता
सब कुछ है एक साथ !!!!!
और साथ है
राज नैतिक अभिप्साओं की देन
मज़हबी दंगे ,
दंगो मे मरते निर्दोष
लूट , भ्रष्टाचार
नैतिकता अनैतिकता पर निर्जीव बहस
कुर्सी के लिये अन्धी दौड़
चहल क़दमी करते है
सब एक साथ , मेरी सोच के साथ !!!!!!
कुछ शुभ भी है
मेरे दोस्त , अहबाब ,
आत्मीय रिश्ते
जिनसे पाता हूँ रोज़ भर के लिये
जीने की शक्ति ,
प्राण वायु
रोजी हिसाब से
और जी लेता हूँ रोज़
एक दिन का जीवन !!!!!!
एक साथ है
सब कुछ
गड्ड मड्ड
क्या कहूँ , क्या लिखूँ ऐसा
कि कोई कह दे ,
वाह !!!!!!!!!!!!!!
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीय सुशील भाई , रचना के अनुमोदन के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!
आदरणीय सुरेन्द्र भाई , आपकी मोहब्बत , आपकी ज़र्रा नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!! ऐसे ही स्नेह बनाये रखें !!!!
आज की कटु सच्चाईयों को व्यक्त करती इस कृति के लिए बधाई आ0 गिरिराज जी....
नंगे, अधनंगे ,रोते चिल्लाते
भूख से कलपते बच्चे
असहाय , लाचार माँ-बाप
और उसके बाद भी
साजिशें , महलों की
झोपड़ियाँ भी छीन लेने की
बहुत सुन्दर प्रस्तुति गिरिराज भाई जी .....
समाज के हर पहलू को उजागर करती अच्छी रचना ....बस यों ही आप लिखते रहें और हम कहेंगे वाह वाह ...
भ्रमर ५
एक मानव की संवेदनशीलता आधुनिक विकास के दोरंगे प्रारूप पर... सुन्दरता से व्यक्त हुई है
हार्दिक बधाई आ० गिरिराज भंडारी जी
आदरणीय विजय मिश्र जी , उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिये आपका आभारी हूँ !!!!!
आदरणीय सन्दीप भाई , रचना की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ !!!!
आदरणीय बडे भाई विजय जी , उत्साह वर्धन के लिये आपका बहुत आभारी हूँ !!!! ऐसे ही स्नेह बनाये रखें !!!
आदरणीया राजेश कुमारी जी , आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिये आपका दिल से शुक्रिया !!!!
आदरणीय सौरभ भाई , उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिये आपका आभारी हूँ !!! आप लोग़ों के मार्ग दर्शन मे सीखने की इमान्दारी से कोशिश करता रहूंगा !!!! आपका पुनः आभार !!!
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