For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मीठी सी एक मनुहार................

पारदर्शी शीशो पर
लगा दी काली चादर
अब बाहर वाले
नही देख सकते
 भीतर का हाल
ठीक उसी तरह
जैसे तुमने
अपने चेहरे की
अतुलनीय मुस्कराहट से
बंद कर दिए
भीतर के सभी किवाड़
जो आया जितना आया
सब डालती जा रही हो
अब डर सा
लग रहा हैं मुझे
खिडकियों की
काली  चादर
कुरच रही हैं
हवा बाहर  की
ओर मुझे
दिखाई दे रही हैं
एक रौशनी सी
जो सब बहा ले जाएगी
अबकी जो ये कमरा
खाली  हो जाये तो
बंद मत करना
घुटन सी होती हैं मुझे
आत्मा हूँ तेरी में
इतनी तो कर ही सकती हूँ
मैं  मीठी सी एक  मनुहार ......

.
."मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 2204

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 19, 2013 at 1:52pm

बहुत सुन्दर भाव पूर्ण रचना आदरणीया

बधाई हो

Comment by vijay nikore on October 19, 2013 at 1:05pm

अति सुन्दर भाव हैं...बधाई, आदरणीया सविता जी।

 

सादर, विजय निकोर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 19, 2013 at 12:04pm

दिल की बात सुनना चाहिए | कहते है आत्मा में ईश् का अंश है | भीतर के किवाड खोल, आत्मा की मनुहार सुन -

बहुत सुन्दर भाव् रचना पगी है - हार्दिक बधाई सविता अग्रवाल जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
9 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. रिचा जी, सादर आभार।"
11 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत टिप्पणी और अच्छे सुझाव के लिए आभार। भविष्य में प्रयास…"
11 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. भाई संजय जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।  अच्छे सुझाव के लिए…"
13 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति , उत्साहवर्धन और सुझाव के लिए आभार।"
15 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय दयाराम जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें। "
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बेहद ममनून हूँ।"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"लोग क़ाबिज  अजीब हरक़त में वो दबाते  है   आँख    लानत में जो शऊर इक…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, प्रोत्सयाहन के लिए हार्दिक आभार।"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय निलेश नूर जी, आपकी हर ग़ज़ल मुझे पसंद आती है हालांकि आपके शब्दकोश के कई शब्दों का अर्थ मैं…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करेंं। कुछ मिसरे तो अति सुंदर है।"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service