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घरों मे वो दादी औ नानी हैं कहाँ अब...........

घरों मे वो दादी औ नानी हैं कहाँ अब
बच्चों के सपनों में राजा-रानी हैं कहाँ अब

उम्र से ज़्यादा , क़द बड़े हो गये हैं उनके
कि बच्चों में बच्चों की निशानी हैं कहाँ अब

बुज़ुर्गों की याद भी आए , तो आए कैसे
घरों में कोई भी चीज़ें पुरानी हैं कहाँ अब

नहीं मिलता है , कृष्ण सा क़िरदार कोई
भला दिखती भी मीरा दीवानी हैं कहाँ अब

घर , छतें , घरोंदें हैं , पंछी भी हैं "अजय"
बर्तन में उनके दानें और पानी हैं कहाँ अब

मौलिक और प्रकाशित
अजय कुमार शर्मा

Views: 738

Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 19, 2013 at 5:52pm

आदरणीय अजय भाई , उम्दा गज़ल कही है आपने !!! बहुत बधाई !!!

बुज़ुर्गों की याद भी आए , तो आए कैसे
घरों में कोई भी चीज़ें पुरानी हैं कहाँ अब ---------- बहुत सुन्दर वाह वाह !!! ढेरों दाद !!!!

Comment by विजय मिश्र on October 19, 2013 at 5:31pm
"उम्र से ज़्यादा , क़द बड़े हो गये हैं उनके
कि बच्चों में बच्चों की निशानी हैं कहाँ अब |" वजा फरमाया . शुक्रिया
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 19, 2013 at 1:47pm

बहुत सुन्दर आदरणीय बधाई स्वीकारें

Comment by शकील समर on October 19, 2013 at 12:59pm

नहीं मिलता है , कृष्ण सा क़िरदार कोई
भला दिखती भी मीरा दीवानी हैं कहाँ अब....वाह क्या खूब रवायती शेर कहे आपने। बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 19, 2013 at 10:45am

बुज़ुर्गों की याद भी आए , तो आए कैसे
घरों में कोई भी चीज़ें पुरानी हैं कहाँ अब---वाह बहुत सुन्दर पंक्तियाँ 

बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर प्रस्तुति पर 

कृपया ध्यान दे...

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