अपने दिल से मेरा सिलसिला जोड़ दे ,
द्वार आखों का अपनी खुला छोड़ दे..
.
ऐसी पागल हवायों की औकात क्या
तू जो चाहे तो तूफाँ का रुख मोड़ दे…
.
राह में रोक लेना तो रुसवाई है
साथ चल या मेरा रास्ता छोड़ दे
.
साफ चाहत का जिसमे न चेहरा दिखे।
दिल ये कहता है वो आइना तोड़ दे ...
.
दुःख में आँखें न आ जाएँ तेरी कहीं
रात भर याद में जागना छोड़ दे…।
मौलिक व् अप्रकाशित
Comment
आ0 पंकज भाई.... ओबीओ में आपका स्वागत है..... इस प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.... बहुत ही खुशी हुई कि अंग्रेज़ी में शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी आप हिंदी सीखने एवं लिखने के प्रति इतने संवेदनशील हैं..... थोड़ी सी और मेहनत आपको एक अलग मुक़ाम तक पहुँचा सकती है..... सादर
आप सभी का बहुत बहुत सुक्रिया ..आप सब के विचार और ज्ञान जान कर बहुत खुसी हुई ...वैसे ये मेरी पहली रचना थी जो OBO माध्यम से प्रकाशित हुई ..यह मैंने बेखबर के मनोभावों को अपनी लाइनों के माध्यम से प्रस्तुत किया है .मै जानता हु इश्को ग़ज़ल का नाम देना गलत है ..वैसे मुझे ग़ज़ल लेखन का उतना ज्ञान नहीं है ..,हमारी शिक्षा भी इंग्लीश मीडियम के डॉन बॉस्को स्कूल से हुई है ,,अभी तो मै बस हिंदी में कविताओ को लिखना सिख रहा हु ...जैसा की ये मेरा सौख और प्रेम है .मै जनता हु की इतने बड़े कवियों के बिच मेरा कोई स्थान नहीं है पर खुद के भाव लिखने का यह छोटा सा प्रयास है ..और गलतियों को मेरे आप सभी माफ़ करे.
बहुत बहुत आभार आदरणीय जनों
आपका सुझाव पाकर धन्य महसूस कर रहा हूं।
......
पंकज मिश्र
मैं..आदरणीय शकील साहब की बात से पूर्ण सहमत हूँ...हालाँकि...आ. सौरभ पाण्डेय जी की बातें भी बहुत उचित हैं....//..सादर
सही कहा वीनस जी आपने.
हम दूसरे रुक्न में ही उलझने लगे थे .. पता नहीं क्यों दूसरा २१२ मुझे सेट क्यों नहीं हो पा रहा था. और बार-बार मात्रा गिराना इधर-उधर कर रहा था. वैसे मात्रा गिरे अक्षर ठीक ही हैं. लेकिन यों? इतने !?
बहुत अच्छे
मित्रों / अग्रजों से निवेदन है कि इस ग़ज़ल को एक बार
बह ए मुतदारिक मुसम्मन सालिम
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
२१२ / २१२ / २१२ / २१२
पर तक्तीअ कर के देख लें ...
शायद ग़ज़ल संतुष्ट कर सके
आपकी ग़ज़ल के मिसरों को किस वज़्न से देखूँ... गज़ल का दूसरा रुक्न संयत नहीं हो रहा है, मुझे. क्योंकि मुझमे इसे समझने में शायद कमी है.
यह अवश्य है कि बार-बार मात्राओं को गिराना उचित नहीं होता. बहरहाल, बहुत-बहुत बधाई..
शुभ-शुभ
क्या बात है बहुत खूब
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