For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : हमेशा के लिए गायब लबों से मुस्कुराहट है

बह्र : हज़ज मुसम्मन सालिम
१२२२, १२२२, १२२२, १२२२,

हमेशा के लिए गायब लबों से मुस्कुराहट है,

मुहब्बत में न जाने क्यों अजब सी झुन्झुलाहट है,

निगाहों से अचानक गर बहें आंसू समझ लेना,
सितम ढाने ह्रदय पर हो चुकी यादों की आहट है,

दिखा कर ख्वाब आँखों को रुलाया खून के आंसू,
जुबां पे बद्दुआ बस और भीतर चिडचिड़ाहट है,

चला कर हाशिये त्यौहार की गर्दन उड़ा डाली,
दिवाली की हुई फीकी बहुत ही जगमगाहट है,

बदलने गाँव का मौसम लगा है और तेजी से,
किवाड़ों में अदब की देख होती चरमराहट है...

 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 830

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 25, 2013 at 12:18pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सुशील भाई जी स्नेह यूँ ही सदैव बना रहे

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 25, 2013 at 12:17pm

हार्दिक आभार आदरणीया सरिता जी स्नेह यूँ ही बना रहे

Comment by vijay nikore on October 25, 2013 at 12:07pm

गज़ल में बहुत खूबसूरत खयाल हैं। बधाई, आदरणीय अरून जी।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 25, 2013 at 9:37am

निगाहों से अचानक गर बहें आंसू समझ लेना,
सितम ढाने ह्रदय पर हो चुकी यादों की आहट है,......वाह! क्या बात है

लाजवाब गजल, एक से बढकर एक शेर, दिली दाद कुबूल कीजिये, आदरणीय अरुण अनंत जी

Comment by Sushil.Joshi on October 25, 2013 at 5:37am

दिखा कर ख्वाब आँखों को रुलाया खून के आंसू,
जुबां पे बद्दुआ बस और भीतर चिडचिड़ाहट है,........... क्या बात है..... वाह..

और जो शेर मेरे अंतर्मन को छू गया...

बदलने गाँव का मौसम लगा है और तेजी से,
किवाड़ों में अदब की देख होती चरमराहट है....... वाह..... बदलते गाँव के हालातों पर अच्छा शेर है आ0 अरुन भाई...... बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति के लिए....

Comment by Sarita Bhatia on October 24, 2013 at 11:29pm

खुबसूरत गजल के लिए हार्दिक बधाई अरुण 

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 24, 2013 at 10:40pm

आदरणीय एडमिन महोदय जी विनम्र अनुरोध है कि मतले के सानी को ऐसा कर दें एवं चिडचिढाहट को  चिडचिड़ाहट कर दें.

मुहब्बत में न जाने क्यों अजब सी झुन्झुलाहट है,

अग्रिम हार्दिक आभार आपका सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 24, 2013 at 10:38pm

आदरणीय भ्राताश्री आपसे सराहना पाकर फूल के कुप्पा हो गया हूँ प्रयास आपको अच्छा लगा सुखद अनुभूति हुई. आपके द्वारा बताया गया मिसरा सानी जबरदस्त है. निःसंदेह ऐसा करने से उलझन ख़तम हो जाएगी. आशीष एवं स्नेह यूँ ही बना रहे

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 24, 2013 at 10:33pm

हार्दिक आभार आदरणीय वैद्यनाथ भाई जी बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 24, 2013 at 10:18pm

आदरणीय गिरिराज जी बहुत बहुत शुक्रिया टाइपिंग मिस्टेक की वजह से ऐसा हो गया ठीक कर लेता हूँ स्नेह यूँ ही बना रहे

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service