बह्र : रमल मुसद्दस महजूफ
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तंग बेहद हाथ खाली जेब है,
सत्य मेरा बोलना ही एब है,
पाँव नंगे वस्त्र तन पे हैं फटे,
वक्त की कैसी अजब अवरेब है,
( अवरेब = चाल )
जख्म की जंजीर ने बांधा मुझे,
दर्द का हासिल मुझे तंजेब है,
( तंजेब = अचकन, लम्बा पहनावा )
जुर्म धोखा देश में जबसे बढ़ा,
साँस भी लेने में अब आसेब है,
( आसेब = कष्ट )
भेषभूषा मान मर्यादा ख़तम,
संस्कारों की गिरी पाजेब है....
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
एब का क्या अर्थ होता है ? ऐब का अर्थ जरुर दोष होता है.
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय हेमंत भाई जी
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय अजय भाई जी स्नेह यूँ ही बना रहे
हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ सर आशीष एवं स्नेह यूँ ही बना रहे
आदरणीय गिरिराज सर भाई शकील जी हार्दिक आभार आप दोनों का बहुत ही सरलता से समझाने हेतु मैं ऐ और ए में उलझ गया था. हृदयतल से हार्दिक आभार
bahut hi sundar gazal badhai
ham bhookhe lekhankarmiyo ko to ik aisee rachna roopi roti ki maang rahti hai ,,,,jo man ki bhookh ko viraam de sake ......ham niwalo ki mahak , aur plates ke rang aur size par tippadi nahi kar sakte hai ...
wah wah wah wah wah.....जख्म की जंजीर ने बांधा मुझे,
दर्द का हासिल मुझे तंजेब है,..............kya kahoo.....nahayat hi khoobsoorat sher huya hai
भेषभूषा मान मर्यादा ख़तम,
संस्कारों की गिरी पाजेब है....no comments ..umda ...lazawab .....
mafi chahta hooo......par kahna chahta hooo ki
khatam ....ya.... khatm . .....farq kya padta hai ....yadi rachna aur meter me zaroorat ke lihaz se "khatam" priyog huya .....tathapi ......akhri sher me iske "vikalp " ko sudhijan .....suggest kyo nahi karte .....jisse bhasha dosh ka nivaran ho sake aur rachna ki gati aur geyeta bhi barkarar rahe ................
आदरणीयगिरिराजभाईजी और शकील भाईजी का कहना बिल्कुल दुरुस्त है.
ए और ऐ में अन्तर तो होता ही है. दोनों दो तरह के स्वर हैं.
शुभ-शुभ
जेब: ज+ए+ब+अ
ऐब: ऐ+ब+अ
———————————————————————————
आदरणीय अरुन सर
आपने काफिए में ब+अ को निभाया है। जेब में 'ब' से पहले 'ए' स्वर है, वहीं ऐब में 'ब' से पहले 'ऐ' स्वर है। हर्फे रवी से पहले दो अलग—अलग स्वर आ रहे हैं। यानी स्वर का विरोध पैदा हो रहा है। इसे ही सिनाद दोष कहते हैं।
(मेरी संक्षिप्त जानकारी पर आधारित)
आदरणीय अरुण भाई , जो अंतर ग़ैब और ज़ेब मे है वही अंतर ऐब और ज़ेब मे है , अगर आप एब लेते तो ज़ेब से मेल खाता क़ाफिया हो सकता था , परंतु आप ऐब शब्द हर्फे कवाफी लिये है जो मात्रा मे ज़ेब से मेल नही खाता है !!!!
आदरणीय सौरभ भाई शायद यही कहना चाहते हैं !!!! सादर !!!!
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