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प्रिये तुम तो प्राण समान हो

अंतस मन में विद्यमान हो,
तुम भविष्य हो वर्तमान हो,
मधुरिम प्रातः संध्या बेला,
प्रिये तुम तो प्राण समान हो....

अधर खिली मुस्कान तुम्हीं हो,
खुशियों का खलिहान तुम्हीं हो,
तुम ही ऋतु हो, तुम्हीं पर्व हो,
सरस सहज आसान तुम्हीं हो.

तुम्हीं समस्या का निदान हो,
प्रिये तुम तो प्राण समान हो....

पीड़ाहारी प्रेम बाम हो,
तुम्हीं चैन हो तुम्हीं अराम हो,
शब्दकोष तुम तुम्हीं व्याकरण,
तुम संज्ञा हो सर्वनाम हो.

तुम पूजा हो तुम्हीं ध्यान हो,
प्रिये तुम तो प्राण समान हो....

.

(मौलिक और अप्रकाशित)

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 14, 2013 at 12:29am

अब ? वैसे अब ही..   :-))))

लगता है सही समय पर सार्थक गीत उपजा है, भाई ... . बधाई.

आदरणीय अरुण भाईजी ने ’अराम’ को भी रेखांकित किया है.

और,

//अनुज राम किन्तु अब मुश्किल ये है कि इतना सब आपको कैसे पता चला भाई //

आपको जानना चाहिये, अनुज कि दीदियो की बातें छोटों को मालूम चल ही जाती हैं. आप प्रश्न करने की जगह बस स्वीकार कर लेते. 

:-))))))))))))

हा हा हा हा..................

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on November 13, 2013 at 12:08am

आदरणीय अच्छी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें। प्रिय के प्रति समर्पण अति प्रशंसनीय है, पुन: बधाई।

Comment by बृजेश नीरज on November 12, 2013 at 11:28pm

वाह! एक नयी विधा आपकी कलम से पाकर मन गढ़ाद हो गया!

आपको हार्दिक बधाई!

Comment by वेदिका on November 12, 2013 at 5:36pm

वाह! मधुर मधुर गीत, प्रेम कि चाशनी मे डूब के लिखा है ऐसा लगता है| 

बधाई आ0 अरुण जी! 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 12, 2013 at 4:23pm

शब्दकोष तुम तुम्हीं व्याकरण,
तुम संज्ञा हो सर्वनाम हो...क्या बात है अरुण जी ..इस रचना के लिए तहे दिल बधाई कबूलें ..सादर 

Comment by Sushil.Joshi on November 12, 2013 at 7:39am

वाह वाह अरुन भाई..... प्रियतमा का विभिन्न उपमाओं से सुंदर तरीके से वर्णन किया है आपने..... अति सुंदर.... बहुत बहुत बधाई इस प्रेम से भरी रचना हेतु.....

Comment by विजय मिश्र on November 11, 2013 at 6:01pm
भार भरी भारी रचना के लिए आभार अरुनजी .
Comment by अरुन 'अनन्त' on November 11, 2013 at 1:56pm

हार्दिक आभार आदरणीय प्रवीन मलिक जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 11, 2013 at 1:51pm

हाहाहा सही कहा अनुज राम किन्तु अब मुश्किल ये है कि इतना सब आपको कैसे पता चला भाई. हार्दिक आभार आपका

Comment by Parveen Malik on November 11, 2013 at 11:38am
शर्मा जी बहुत खूबसूरत ... बधाईयाँ !!

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