For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रिये तुम तो प्राण समान हो

अंतस मन में विद्यमान हो,
तुम भविष्य हो वर्तमान हो,
मधुरिम प्रातः संध्या बेला,
प्रिये तुम तो प्राण समान हो....

अधर खिली मुस्कान तुम्हीं हो,
खुशियों का खलिहान तुम्हीं हो,
तुम ही ऋतु हो, तुम्हीं पर्व हो,
सरस सहज आसान तुम्हीं हो.

तुम्हीं समस्या का निदान हो,
प्रिये तुम तो प्राण समान हो....

पीड़ाहारी प्रेम बाम हो,
तुम्हीं चैन हो तुम्हीं अराम हो,
शब्दकोष तुम तुम्हीं व्याकरण,
तुम संज्ञा हो सर्वनाम हो.

तुम पूजा हो तुम्हीं ध्यान हो,
प्रिये तुम तो प्राण समान हो....

.

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 836

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 14, 2013 at 12:29am

अब ? वैसे अब ही..   :-))))

लगता है सही समय पर सार्थक गीत उपजा है, भाई ... . बधाई.

आदरणीय अरुण भाईजी ने ’अराम’ को भी रेखांकित किया है.

और,

//अनुज राम किन्तु अब मुश्किल ये है कि इतना सब आपको कैसे पता चला भाई //

आपको जानना चाहिये, अनुज कि दीदियो की बातें छोटों को मालूम चल ही जाती हैं. आप प्रश्न करने की जगह बस स्वीकार कर लेते. 

:-))))))))))))

हा हा हा हा..................

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on November 13, 2013 at 12:08am

आदरणीय अच्छी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें। प्रिय के प्रति समर्पण अति प्रशंसनीय है, पुन: बधाई।

Comment by बृजेश नीरज on November 12, 2013 at 11:28pm

वाह! एक नयी विधा आपकी कलम से पाकर मन गढ़ाद हो गया!

आपको हार्दिक बधाई!

Comment by वेदिका on November 12, 2013 at 5:36pm

वाह! मधुर मधुर गीत, प्रेम कि चाशनी मे डूब के लिखा है ऐसा लगता है| 

बधाई आ0 अरुण जी! 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 12, 2013 at 4:23pm

शब्दकोष तुम तुम्हीं व्याकरण,
तुम संज्ञा हो सर्वनाम हो...क्या बात है अरुण जी ..इस रचना के लिए तहे दिल बधाई कबूलें ..सादर 

Comment by Sushil.Joshi on November 12, 2013 at 7:39am

वाह वाह अरुन भाई..... प्रियतमा का विभिन्न उपमाओं से सुंदर तरीके से वर्णन किया है आपने..... अति सुंदर.... बहुत बहुत बधाई इस प्रेम से भरी रचना हेतु.....

Comment by विजय मिश्र on November 11, 2013 at 6:01pm
भार भरी भारी रचना के लिए आभार अरुनजी .
Comment by अरुन 'अनन्त' on November 11, 2013 at 1:56pm

हार्दिक आभार आदरणीय प्रवीन मलिक जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 11, 2013 at 1:51pm

हाहाहा सही कहा अनुज राम किन्तु अब मुश्किल ये है कि इतना सब आपको कैसे पता चला भाई. हार्दिक आभार आपका

Comment by Parveen Malik on November 11, 2013 at 11:38am
शर्मा जी बहुत खूबसूरत ... बधाईयाँ !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
14 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
15 hours ago
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service