मन से सच्चा प्रेम दें, समझें एक समान ।
बालक हो या बालिका, दोनों हैं भगवान ।।
उत्तम शिक्षा सभ्यता, भले बुरे का ज्ञान ।
जीवन की कठिनाइयाँ, करते हैं आसान ।।
नित सिखलायें नैन को, मर्यादा सम्मान ।
हितकारी होते नहीं, क्रोध लोभ अभिमान ।।
ईश्वर से कर कामना, उपजें नेक विचार ।
भाषा मीठी प्रेम की, खुशियों का आधार ।
सच्चाई ईमान औ, सदगुण शिष्टाचार ।
सज्जन को सज्जन करे, सज्जन का व्यवहार ।।
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
प्रिय अरुण जी
एक एक दोहा सुन्दर चिंतन व सज्जनतापूर्ण आचरण को प्रस्तुत करता है..
इस सार्थक, और सुन्दर दोहावली के लिए हार्दिक शुभकामनाएं
आदरणीय एडमिन महोदय कृपया ये दो दोहे आदरणीय सौरभ सर के द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार ठीक कर दें. आपका आभारी रहूँगा.
उत्तम शिक्षा सभ्यता, भले बुरे का ज्ञान ।
जीवन की कठिनाइयाँ, करता है आसान ।।.............. करते हैं आसान.. . भले-बुरे का ज्ञान संज्ञा-समुच्चय में अंतिम संज्ञा है न. अतः क्रिया बहुवचन पुल्लिंग होगी.
नित सिखलायें नैन को, मर्यादा सम्मान ।
हितकारी होता नहीं, क्रोध लोभ अभिमान ।।............ हितकारी होते नहीं ..... क्रोध लोभ और अभिमान तीन संज्ञाएँ हैं. अतः, वाक्यांश की क्रिया बहुवचन पुल्लिंग होगी.
आदरणीय श्री सौरभ सर आपकी उर्जा स्वरुप टिपण्णी पाकर गद गद हूँ आपको दोहे पसंद दोहे सार्थक हुए.
वास्तविकता यही है कि आपकी प्रतीक्षा रहती है कब रचना आपकी दृष्टि से होकर गुजरेगी. आशीष एवं स्नेह यूँ ही बना रहे
हार्दिक आभार आदरणीया मीना जी
हार्दिक आभार आदरणीय शिज्जू भाई जी, आदरणीय अनुराग जी, आदरणीय वैद्यनाथ जी, आदरणीय आशुतोष जी, आदरणीय सत्यनारायण जी, आदरणीय रमेश जी, अनुज राम भाई
हार्दिक आभार आदरणीय बृजेश भाई जी आदरणीय गोपाल नारायण जी, आदरणीय अरुन अभिनव भाई जी, आदरणीय गिरिराज जी,आदरणीय जीतेंद्र जी, आदरणीय सुशील भाई जी.
आदरणीय श्याम नारायण जी हार्दिक आभार आपका
आदरणीय भाई अरुण शर्मा जी बहुत ही सुन्दर दोहे /// हार्दिक बधाई आपको///सादर
ईश्वर से कर कामना, उपजें नेक विचार ।
भाषा मीठी प्रेम की, खुशियों का आधार ।
सच्चाई ईमान औ, सदगुण शिष्टाचार ।
सज्जन को सज्जन करे, सज्जन का व्यवहार ।।
हय-हय हय-हय.. . भाई अरुन अनन्तजी, उपरोक्त दोहों पर बस झूम गया. मोह् लिया आपने भइया.
बहुत खूब ! बहुत-बहुत खूब !!
उत्तम शिक्षा सभ्यता, भले बुरे का ज्ञान ।
जीवन की कठिनाइयाँ, करता है आसान ।।.............. करते हैं आसान.. . भले-बुरे का ज्ञान संज्ञा-समुच्चय में अंतिम संज्ञा है न. अतः क्रिया बहुवचन पुल्लिंग होगी.
नित सिखलायें नैन को, मर्यादा सम्मान ।
हितकारी होता नहीं, क्रोध लोभ अभिमान ।।............ हितकारी होते नहीं ..... क्रोध लोभ और अभिमान तीन संज्ञाएँ हैं. अतः, वाक्यांश की क्रिया बहुवचन पुल्लिंग होगी.
शुभेच्छाएँ
बहुत ही सुंदर दोहे आदरणीय अरूणजी, बधाई बधाई
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online