!!! दीवाली क्या चीज है !!!
जीवन का उद्देश्य सम, हर पल रहें प्रसन्न।
मृत्यु काल के घाट पर, नहीं पूंछती प्रश्न।। 1
सदा दिया के सम बनो, उजला रहे समाज।
निश-दिन पाप मुक्त तभी, कर दीवाली आज।। 2
यह प्यारा संसार है, दीन-हीन के संग।
दीपक जिनके घर नही, उनके लिए पतंग।। 3
लक्ष्मी को पूजें सभी, धनतेरस है कमाल।
बहू हमारी कर्ज सी, नित झगड़ा जंजाल।। 4
आलम-गौरव गले मिलें, होली हो या ईद।
नेता झंझट कील से, उकसाते बकरीद।। 5
के0पी0 सत्यम-मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय केवल भाई ,सुन्दर दोहों के लिए बधाई !!
फिर भी परिश्रम अभी शेष है और आप सक्षम भी............................
सुन्दर दोहों के लिए बधाई | दीपोत्सव की हार्दिक शुभ कामनाए
मृत्यु काल को भूल कर,चलो मनाएं जश्न
फिर दुख आने का कभी,नहीं उठेगा प्रश्न |१|
दीपक सम जलकर करो,अँधियारे पर राज
तब सच्ची दीपावली , तब हो शुद्ध समाज |२|
दीपक जिनके घर नहीं,वहाँ जलायें दीप
हैं उनके आशीर्वचन , मोती धारे सीप |3|
कर्ज फर्ज तो सोच है, जैसे छैंया धूप
किन्तु सत्य यह मानिये,बहू लक्ष्मी रूप |४|
हरदम कंटक में पले,मोहक पुष्प गुलाब
बोतल कब है झूमती,जब उर बसी शराब |५|
शुभ दीपावली................
आदरणीय भण्डारी भाई जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार। सादर,
आदरणीया कुन्ती जी, सादर प्रणाम! आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार। सादर,
आदरणीय अखिलेश भाई जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार। सादर,
आदरणीय केवल भाई , दीवाली की सार्थकता कहाँ और कैसे है , आपने अपनी रचना के माध्यम से सुन्दरता से बयान किया है !!!! आपको हार्दिक बधाई !!!!!
बहुत सुंदर दिपावली की सार्थकता जतला दी केवल भाई आपने.
सादर
सार्थक दीवाली कैसी हो इस पर सुंदर प्रकाश डाला है छोटी सी कविता के माध्यम से। बधाई केवल भाई।
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